निवेशकों के लिए अनुकूल हैं बाजार के हालात

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:05 AM IST

बीएस बातचीत
बढ़ते कोविड मामले और महाराष्ट्र में इससे संबंधित सख्ती ने बाजार की तेजी पर विराम लगा दिया है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी में पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं और एआईएफ निवेश के प्रमुख आनंद शाह ने पुनीत वाधवा के साथ साक्षात्कार में कहा कि यदि कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव पहली के मुकाबले ज्यादा नहीं रहता है तो इस घटनाक्रम का अर्थव्यवस्था और बाजार पर कम असर रहने की संभावना है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

निवेशकों को अब शेयर बाजार को लेकर कैसी रणनीति अपनानी चाहिए?
बाजार मूल्यांकन बहुत ज्यादा सस्ता नहीं है और आसानी से कमाई के दिन बीत गए हैं। मौजूदा बाजार हालात खरीदें और बनाए रखें के दृष्टिकोण के साथ निवेशकों के लिए अनुकूल हैं और ऐसे में पांच साल से ज्यादा की निवेश अवधि महत्वपूर्ण है। निरवेशकों को अपने एसआईपी निवेश भी बरकरार रखने चाहिए। क्षेत्रों में, मुख्य ध्यान उन कंपनियों पर है जो अर्थव्यवस्था के सुधरने से लाभान्वित हो सकती हैं।

बढ़ते मामलों और छिटपुट तौर पर लॉकडाउन की वजह से बाजारों के लिए कितना खतरा है?
भारत में बढ़ते मामलों के उदाहरण काफी हद तक दो-तीन राज्यों में हैं। इसलिए, इन खास क्षेत्रों में लॉकडाउन के बाद भी आर्थिक प्रभाव पिछले साल जैसा महसूस नहीं किया जाएगा। इसके अलावा अर्थव्यवस्था, सरकार व्यवसाय और लोग बेहतर रूप से तैयार हैं और संबंधित जोखिमों से पूरी तरह अवगत हैं। इक्विटी बाजारों के मामले में भी, निवेश समुदाय के ज्यादा चिंतित होने की आशंका नहीं है। इसलिए अर्थव्यवस्था और बाजार पर प्रभाव नियंत्रित रहने की संभावना है।

बॉन्ड प्रतिफल में तेजी को लेकर आपका क्या नजरिया है?
बॉन्ड प्रतिफल में वृद्घि का असर मुद्रास्फीति में संभावित तेजी की बाजार की उम्मीद के तौर पर दिखा है। मौजूदा समय में निवेशक अर्थव्यवस्था, मांग और जिंस कीमतों में सुधार देख रहे हैं और इन सभी से आने वाले समय में ऊंची मुद्रास्फीति का संकेत मिलता है। साथ ही कुछ लोगों का मानना है कि यदि मुद्रास्फीति में भारी तेजी आती है तो वैश्विक रूप से केंद्रीय बैंक मौद्रिक राहत में कुछ नरमी का सहारा ले सकते हैं और इसका बाजारों में तरलता पर कुछ हद तक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इक्विटी निवेशक के नज रिये से बॉन्ड प्रतिफल में तेजी बहुत ज्यादा खराब खबर नहीं है। लंबे समय से इस तरह के रुझान को आर्थिक सुधार और मुद्रास्फीति से जोड़कर देखा जाता रहा है और इस तरह का घटनाक्रम कॉरपोरेट आय के लिए सकारात्मक है, लेकिन तरलता के नजरिये से नकारात्मक है। पिछले 12 महीने में बाजार को नकदी से मदद मिली और लगभग हरेक शेयर में तेजी आई।

वित्तीय शेयरों में निवेशकों को किस तरह का रुख अपनाना चाहिए?
मेोरेटोरियम को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के ताजा फैसले से इस क्षेत्र से जुड़ी अनिश्चितता दूर हुई है, जो एक सकारात्मक बदलाव है। हम इस क्षेत्र में अवसरों पर लगातार ध्यान दे रहे हैं, खासकर इन्फ्रास्ट्रक्चर, निर्माण और औद्योगिक रिकवरी से होने वाले लाभ पर हमारा ध्यान बना रहेगा। साथ ही हम उन बैंकों को पसंद कर रहे हैं जो उधारी के संबंध में कॉरपोरेट और रिटेल के समावेश की पेशकश करते हैं।

क्या विमानन, मल्टीप्लेक्स और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र अब विरोधाभासी दांव दिखेंगे?
जिंस उत्पादकों, कॉरपोरेट बैंकों, चुनिंदा मझोली कंपनियों और छोटे उद्यमों में विरोधाभासी निवेश के लिए अवसर मौजूद हैं। मध्यावधि के नजरिये से अभी भी ऐसे बाजार सेगमेंट मौजूद हैं जो महामारी के प्रभाव के बाद पूरी तरह नहीं उबरे हैं। उदाहरण के तौर पर, इनमें हॉस्पिटैलिटी, मीडिया, एयरलाइंस शामिल हैं।  

First Published : April 10, 2021 | 12:18 AM IST