रिलायंस इंडस्ट्रीज की कारोबार में व्यापक विस्तार (खुद के दम पर अथवा अधिग्रहण के जरिये) के जरिये बाजार पर काबिज होने की रणनीति रही है। कंपनी ने अपने दूरसंचार कारोबार के लिए यह रणनीति अपनाई बनाई थी लेकिन अब वह मीडिया एवं मनोरंजन से लेकर खुदरा, ई-कॉमर्स और स्वास्थ्य एवं शिक्षा से लेकर तमाम ऑनलाइन कारोबार में यही रणनीति अपना रही है।
सबसे पहले खुदरा की बात करते हैं। देश के संगठित खुदरा क्षेत्र में 12 फीसदी से अधिक राजस्व हिस्सेदारी के साथ रिलायंस रिटेल (मोबाइल और ईंधन संबंधी खुदरा को छोड़कर) अब किशोर बियाणी के फ्यूचर समूह के खुदरा कारोबार के अधिग्रहण के अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। यदि यह सौदा पूरा होता है तो रिलायंस रिटेल 16 फीसदी से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ शीर्ष खुदरा कंपनी बन जाएगी। सलाहकार फर्म टेक्नोपार्क के आकलन के अनुसार, इस सौदे के बाद रिलायंस रिटेल का वार्षिक राजस्व 1,00,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगा। दूसरे शब्दों में, रिलायंस रिटेल का राजस्व वित्त वर्ष 2017 के मुकाबले लगभग दोगुना हो जाएगा जब उसने 57,000 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया था।
ऐसे में प्रमुख प्रतिस्पर्धियों के साथ रिलायंस रिटेल की दूरी भी कम हो जाएगी। फिलहाल कंपनी का राजस्व टेक्नोपार्क द्वारा पहचान किए गए अन्य शीर्ष चार खुदरा कंपनियों- फ्यूचर ग्रुप, डीमार्ट, टाटा समूह (केवल टाइटन- यदि क्रोमा और ट्रेंट को जोड़ दिया जाए तो टेक्नोपार्क के अनुसार यह करीब 30,000 करोड़ रुपये हो जाएगा) और कल्याण ज्वेलर्स के संयुक्त राजस्व के लगभग बराबर है। रिलायंस रिटेल यदि फ्यूचर ग्रुप के साथ सौदा करने में विफल रहती है तो उसका मूल्यांकन 60 से 70 अरब डॉलर के दायरे में होगा। मुकेश अंबानी ने पिछले एजीएम में घोषणा की थी कि वह रिलायंस रिटेल में कई निवेशकों को लाएंगे और अपनी हिस्सेदारी को भुनाएंगे। टेक्नोपार्क के अनुसार, भारत में आधुनिक खुदरा बाजार का आकार वित्त वर्ष 2020 में 650 अरब डॉलर यानी करीब 7,65,000 करोड़ रुपये था जो एक साल पहले के मुकाबले 22 फीसदी अधिक है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण जाहिर तौर पर उसकी वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ गई है और वित्त वर्ष 2021 में वह नकारात्मक हो सकती है। रिलायंस अपने प्रसारण कारोबार में भी विस्तार कर रही है यानी अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। कंपनी के आंकड़ों के अनुसार, करीब 40 चैनलों के साथ वायकॉम 18 का नेटवर्क जुलाई 2020 में कुल 68.4 करोड़ भुगतान वाले टीवी ग्राहकों के 89 फीसदी तक पहुंच गया। इन ग्राहकों ने कम से कम एक वायकॉम चैनल की सेवाएं ली है। ग्राहकों तक पहुंच के लिहाज से वायकॉम 18 तीसरे पायदान पर है और उससे पहले स्टार डिज्नी और ज़ी करीब 7 से 8 फीसदी आगे है।
ऑनलाइन कारोबार में भी कंपनी खुद की वृद्धि और अधिग्रहण के जरिये अपना आकार बढ़ा रही है। उसकी सबसे बड़ी चुनौती ई-कॉमर्स क्षेत्र में है जहां जियोमार्ट काफी देर से बाजार में उतरी है और उसे बड़ी वैश्विक कंपनियों का सामना करना पड़ रहा है।
कंपनी ने कुछ ही सप्ताह पहले अपना आधिकारिक ऐप लॉन्च किया है और उसने 200 से अधिक शहरों को कवर करने की योजना बनाई है। शुरुआती गतिविधियों के आधार पर आकलन किया जाए तो कंपनी सही राह पर अग्रसर दिख रही है। ऐप एनी के अनुसार, जियोमार्ट डाउनलोड किए जाने वाले शॉपिंग ऐप के बीच छठे पायदान पर है। वह बिग बास्केट और ग्रोफर्स से आगे लेकिन एमेजॉन और फ्लिपकार्ट से पीछे है। रिलायंस की ऑनलाइन फैशन इकाई एजियो भी आगे बढ़ रही है। ऐप एनी की रैकिंग में वह शॉपिंग श्रेणी में बढ़कर तीसरे पायदान पर पहुंच गई जो मध्य जुलाई में पांचवे पायदान पर रही थी। रिलायंस सावन के अधिग्रहण के जरिये ऑनलाइन म्यूजिक ओटीटी क्षेत्र में भी रफ्तार बढ़ा रही है। गूगल प्ले के आंकड़ों के अनुसार, इस अधिग्रहण के बल पर यह 10 करोड़ ग्राहकों के साथ इस श्रेणी में शीर्ष पायदान पर पहुंच गई है। रिलायंस अब अपने ऑनलाइन स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कारोबार को भी बढ़ाने की संभावनाएं तलाश रही है। सूत्रों का कहना है कि रिलायंस नेटमेड्स के अधिग्रहण के लिए बातचीत कर रही है। इसके अलावा कंपनी अपने शिक्षा प्रौद्योगिकी कारोबार को भी बढ़ाने की तैयारी कर रही है जहां उसे बैजू और अनएकेडमी जैसी प्रतिस्पर्धियों का सामना करना पड़ रहा है।
