सत्यम कम्प्यूटर सर्विसेज के सबसे बड़े शेयरधारकों में से एक लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) इसके प्रमुख व्यवसायों के बीच तालमेल बढ़ाए जाने की संभावना तलाश रही है।
एलऐंडटी अपनी गैर-सूचीबद्ध सूचना प्रौद्योगिकी इकाई एलऐंडटी इन्फोटेक के लिए यह संभावना देख रही है। हालांकि कंपनी सत्यम की वित्तीय हालत में सुधार नहीं आने तक अपनी हिस्सेदारी बढ़ाए जाने के लिए इच्छुक नहीं है। एलऐंडटी की सत्यम में 4 फीसदी हिस्सेदारी है।
जब इस बारे में एलऐंडटी के वित्तीय निदेशक वाई एम देवस्थली से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘एसएपी क्षेत्र में सत्यम की मजबूत साख हमारे लिए दिलचस्पी का एक अहम कारण है।’
यही वह कारण है जिसकी वजह से समूह की सहायक कंपनी एलऐंडटी कैपिटल ने हाल तक खुले बाजार से शेयर खरीदे थे। कंपनी में निवेश करना मौजूदा स्थिति में अच्छी व्यावसायिक समझ होगी जब कीमतें बेहद कम हैं।
एसएपी क्षेत्र में भारतीय आईटी कंपनियों के बीच सत्यम बेहद मजबूत कंपनी रही है। एसएपी क्षेत्र की इसके कथित राजस्व में तकरीबन 45 फीसदी की भागीदारी है।
कंपनी ने इस साल के अंत तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एसएपी कार्यान्वयक बनने का लक्ष्य निर्धारित किया था। हालांकि देवस्थली ने यह भी कहा कि कंपनी अभी निवेश को लेकर कदम आगे नहीं बढ़ाएगी, क्योंकि शेयर कीमतें काफी नीचे चली गई हैं।
लेकिन जब तक तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हो जाती है, शेयर की खरीद या बिक्री नहीं की जाएगी। देवस्थली ने कहा कि जिस रफ्तार से सत्यम के शेयरों की कीमतें गिर रही हैं, उस स्थिति में सत्यम में शेयरों को बेचना समझदारी नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘हम शेयरों की खरीद या बिक्री नहीं करेंगे, जैसा कि बुधवार को मीडिया में कहा गया था। हमने सत्यम को लेकर स्थिति साफ होने तक कोई कदम आगे बढ़ाने की योजना नहीं बनाई है।’
देवस्थली ने कहा, ‘हम सत्यम को लेकर उत्साहित थे, लेकिन कंपनी में वित्तीय गड़बड़झाले के खुलासे के बाद सब कुछ बदल गया है। इससे पहले हमने सत्यम के साथ एक रणनीतिक गठजोड़ करने की योजना बनाई थी।’
उन्होंने यह भी कहा कि सत्यम के सही वैल्यू का पता लगाने में कुछ सप्ताह का समय लग सकता है। हालांकि देवस्थली ने सत्यम के मुद्दे पर ज्यादा कुछ बताने से इनकार कर दिया।
एलऐंडटी के सूत्रों का कहना है, ‘इस समय सत्यम सौदे के लिहाज से जोखिम वाली कंपनी है। हमें भय महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यह कोई भी नहीं जानता कि आगे क्या होने जा रहा है।’ मैं यह स्पष्ट कह सकता हूं कि कंपनी में और ज्यादा निवेश की हमारी कोई योजना नहीं है।
सूत्रों ने कहा है कि कुछ बैंक यह मान रहे हैं कि कंपनी सत्यम के साथ संभावित विलय या खरीददारी कर सकती है, लेकिन रामलिंग राजू के खुलासे को ध्यान में रखते हुए उसने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई है।