चीन से आयात घटाने के लिए राजनीतिक दबाव बढऩे के साथ ही इंजीनियरिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) ने कहा है कि कंपनी एक दमदार एवं व्यावहारिक मेक इन इंडिया माहौल तैयार करते हुए घरेलू उद्योग के लिए आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एलऐंडटी के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रमण्यन ने भारत-चीन सीमा पर बढ़ते तनाव का उल्लेख करते हुए कहा, ‘सीमा पर तैनात हमारे बहादुर सैनिकों के साथ दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने के साथ ही देश में भावनाएं चरम पर हैं।’ उन्होंने कहा कि यह कंपनी आठ दशक से अधिक समय से राष्ट्र निर्माण में लगी हुई है और इसलिए हम मेक इन इंडिया के जरिये स्थानीय स्तर पर बेहतरीन उत्पाद तैयार करने की नीति के साथ खड़े हैं।
सुब्रमण्यन ने कहा, ‘देश मध्यावधि से दीर्घावधि के दौरान बड़े पैमाने पर कुशल एवं सस्ते घरेलू औद्योगिक माहौल में प्रक्रियाओं और प्रणालियों को स्थापित करते हुए चीन सहित अन्य आयातित उत्पादों पर अपनी निर्भरता काफी घटा सकती है।’ शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इसके लिए माहौल बिल्कुल उपयुक्त है और हमें इसमें तेजी लानी चाहिए।
सुब्रमण्यन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एलऐंडटी अभी भी चीन की आपूर्ति शृंखला से सोर्सिंग कर रही है। सुब्रमण्यन ने 9 जून को बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा था कि चीन की आपूर्ति शृंखला वर्तमान में सबसे अधिक कुशल है। उन्होंने कहा था, ‘हम उन चुनिंदा संगठनों में शामिल हैं जो पहले विक्रय मूल्य तय करते हैं और उसके बाद लागत को कम रखने की कोशिश करते हैं ताकि कुछ कमाई की जा सके। जब हमारे पास विक्रय मूल्य तय हो जाता है तो हम दो से ढाई साल तक उसी पर बरकरार रहते हैं। हम अपने ग्राहकों से एक पैसा भी अधिक नहीं लेते। इसलिए हम बेहतरीन और सबसे अधिक कुशल आपूर्ति शृंखला की ओर रुख करते हैं और फिलहाल वह चीन की आपूर्ति शृंखला है।’
सुब्रमण्यन ने कहा कि यदि मेक इन इंडिया अभियान रफ्तार पकड़ता है और यदि ऐसे भारतीय विनिर्माता सामने आते हैं जो मूल्य एवं प्रौद्योगिकी दोनों मामले में कुशल हैं तो कंपनी उन स्रोतों पर भी गौर करेगी।
यदि परियोजनाओं और ऑर्डर के लिए चीनी कंपनियों द्वारा लगाई गई बोलियों को रद्द किया जाता है तो एलऐंडटी उस अवसर को भुनाने के लिए भी तैयार है। उदाहरण के लिए, यदि दिल्ली मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए पात्र बोलीदाता शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी (एसटीईसी) के हाथ से परियोजना खिसकती है तो दूसरे नंबर की बोलीदाता के तौर पर एलऐंडटी को वह परियोजना हासिल हो सकती है। हालांकि फिलहाल इस संबंध में कुछ भी नहीं कहा गया है कि यह परियोजना दूसरे तरजीही बोलीदाता को आवंटित की जाएगी। एसटीईसी मुंबई मेट्रो परियोजना में भी एलऐंडटी का कंसोर्टियम साझेदार है।
