बजाज ऑटो लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने आज कहा कि सब्सिडी ग्राहकों और कंपनियों दोनों की ही निर्णय लेने की प्रक्रिया बिगाड़ देती है। क्योंकि ग्राहक कृत्रिम अल्पकालिक लाभों से प्रभावित होते हैं और कंपनियां संभावित अल्पकालिक सब्सिडी व्यवस्था के आधार पर लंबे समय के निवेश के निर्णय लेती हैं। इसलिए अगर कोई सब्सिडी प्रदान की जाती है, तो वह लंबे समय के लिए होनी चाहिए।
शर्मा ने दिल्ली में पहले इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) – चेतक के आउटलेट का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि जरूरी मसला यह नहीं है कि सब्सिडी होनी चाहिए या नहीं। बड़ा मसला निश्चितता का है, जो कम से कम पांच से साल के लिए प्रदान की जानी चाहिए।
भारी उद्योग मंत्रालय इस बात पर विचार कर रहा है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया विनिर्माताओं को वर्ष 2023-24 से आगे अपने इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के विनिर्माण और इस्तेमाल की योजना (फेम-2) के तहत सब्सिडी का विस्तार करना है या नहीं। लगभग 10,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ फेम-2 योजना वित्त वर्ष 20 में शुरू हुई थी। फेम-1 योजना वित्त वर्ष 16 से वित्त वर्ष 19 तक केवल 529 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ आई थी।
कुछ भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माताओं को अपर्याप्त घरेलू मूल्य संवर्धन के कारण फेम-2 की सब्सिडी के लिए पात्र होने के वास्ते जरूरी मानकों के कथित गैर-अनुपालन के लिए जांच का सामना करना पड़ रहा है।
शर्मा के अनुसार किसी ओईएम (मूल उपकरण विनिर्माता) के नजरिये से आप सब्सिडी नहीं दे सकते और उद्योग किसी उद्योग का निर्माण नहीं कर सकते। ऐसा नहीं हुआ है। यह सफल नहीं हुआ है। मुझे लगता है कि कालांतर में उन्हें (सरकार को) इसे (सब्सिडी) बंद कर देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हालांकि अगर देश सब्सिडी के लिए प्रतिबद्ध है, तो वह बहुत लंबी अवधि के लिए होनी चाहिए क्योंकि कंपनियों, उनके साझेदार और उनके डीलर वर्षों के निवेश का वादा करते हैं।
उन्होंने कहा कि ग्राहक के नजरिये से उसे कुछ वक्त के लिए ‘कृत्रिम लागत लाभ’ के बजाय ‘वास्तविक लागत लाभ’ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि किसी भी प्रकार की सब्सिडी वास्तव में ग्राहक और कंपनी दोनों ही पक्षों के निर्णय लेने की प्रक्रिया को बिगाड़ देती है। क्या सब्सिडी राष्ट्रीय और वैश्विक नजरिये से होनी चाहिए, इस सवाल का जवाब सरकार को देना चाहिए।