प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
बेंगलुरु की मशहूर ऑनलाइन मीट और सीफूड कंपनी Licious ने अब 30 मिनट में डिलीवरी शुरू कर दी है। यह सुविधा कंपनी के 60 फीसदी ग्राहकों के लिए उपलब्ध है। बता दें कि भारत में प्रोटीन मार्केट 55 अरब डॉलर का है, और Licious इस मौके को भुनाने के लिए तैयार है। लोग अब ताजा मीट और सीफूड जल्दी मंगवाना पसंद कर रहे हैं। कंपनी ने अपने सात बड़े बाजारों में इस तेज डिलीवरी को लागू किया है। इससे शहरों में रहने वाले लोग आसानी से ताजा प्रोटीन घर मंगा सकते हैं।
Licious ने अपनी डिलीवरी को तेज करने के लिए खास कदम उठाए हैं। कंपनी ने अपने डिलीवरी हब की संख्या 40 फीसदी बढ़ा दी है। ये हब कोल्ड-चेन लॉजिस्टिक्स पर काम करते हैं, जो मीट को 0-4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखते हैं। यह तकनीक मीट की क्वालिटी को बरकरार रखती है। यह काम इतना आसान नहीं है, क्योंकि सामान्य क्विक कॉमर्स से मीट डिलीवरी अलग है। Licious का कहना है कि उनकी ‘फ्लैश’ डिलीवरी सर्विस ग्राहकों को 300 से ज्यादा तरह के मीट और सीफूड कट्स देती है। ये कट्स ग्राहकों की पसंद के हिसाब से तैयार किए जाते हैं।
पहले लोग मीट और सीफूड पहले से प्लान करके खरीदते थे। लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। लोग अब बार-बार और जल्दी प्रोटीन खरीदना चाहते हैं। Licious की तेज डिलीवरी इस बदलाव को ध्यान में रखकर शुरू की गई है। कंपनी की ऐप पर ग्राहक आसानी से ऑर्डर कर सकते हैं। Licious के 12 लाख ग्राहक हैं, और कंपनी का दावा है कि उनकी क्वालिटी हमेशा बनी रहती है।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि Licious का यह कदम सिर्फ तेज डिलीवरी का रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं है। यह एक ऐसी रणनीति है, जिससे कंपनी प्रोटीन मार्केट में अपनी मजबूत जगह बना सकती है। Licious का मुकाबला अमेजन की फ्रेशटूहोम, गुड टू गो और कई छोटे-मोटे खिलाड़ियों से है। एक जानकार ने बताया, “ताजा प्रोटीन को तेजी से डिलीवर करना आसान नहीं है। अगर Licious इसे बड़े पैमाने पर कर दिखाता है, तो यह बाजार की पूरी तस्वीर बदल सकता है।”
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कंपनी का कहना है कि 30 मिनट की डिलीवरी तो बस शुरुआत है। जल्द ही और तेज डिलीवरी के विकल्प भी लाए जाएंगे। Licious 22 शहरों में अपनी ऑनलाइन मौजूदगी रखता है। यह तेज डिलीवरी कंपनी की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। Licious न सिर्फ ऑनलाइन, बल्कि ऑफलाइन दुकानों के जरिए भी अपने ग्राहकों तक पहुंच रहा है। कंपनी का कहना है कि यह कदम क्विक कॉमर्स की होड़ में शामिल होने या सस्ते दामों की रेस जीतने के लिए नहीं है।
Licious की 75 फीसदी से ज्यादा कमाई उसकी अपनी वेबसाइट और ऐप से आती है। इसके अलावा, कंपनी दूसरी क्विक कॉमर्स कंपनियों पर भी प्रोटीन बिक्री में आगे है। Licious ने अपने घाटे को भी कम किया है। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी का घाटा 44 फीसदी घटकर 293.77 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल 524.18 करोड़ रुपये था। हालांकि, कंपनी की कमाई 8 फीसदी घटी और यह 685.05 करोड़ रुपये रही।
भारत का मीट मार्केट 2024 में 55.3 अरब डॉलर का है। अनुमान है कि 2033 तक यह 114.4 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। लोग ज्यादा प्रोटीन खाना चाहते हैं, और साफ-सुथरे तरीके से सामान मंगवाना पसंद करते हैं। Licious इस मौके को अच्छे से इस्तेमाल कर रहा है।
हाल ही में सरकार ने रेडी-टू-कुक (RTC) और रेडी-टू-ईट (RTE) प्रोडक्ट्स पर जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया। Licious ने इस छूट का पूरा फायदा ग्राहकों को देने का फैसला किया है। 22 सितंबर से यह छूट लागू हो गई है। इससे ग्राहकों को करीब 7 फीसदी का सीधा फायदा मिलेगा। यह छूट Licious के मेरिनेटेड मीट, करी, ग्रिल्स, कबाब और रेडी मील्स पर लागू होगी। कंपनी का कहना है कि वह इस कैटेगरी में ऐसा करने वाली पहली संगठित कंपनी है।
Licious की मालिक कंपनी डिलाइटफुल गॉरमे को 2023 में 1.5 अरब डॉलर की वैल्यू मिली थी। कंपनी को टेमासेक, वर्टेक्स वेंचर्स और बर्टेल्समैन इनवेस्टमेंट्स जैसे बड़े निवेशकों का साथ है। Licious 2026 तक शेयर बाजार में अपनी कंपनी लिस्ट कराने की योजना बना रहा है।
Licious की यह रणनीति ग्राहकों को ज्यादा करीब लाने और प्रोटीन मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करने की है। तेज डिलीवरी, अच्छी क्वालिटी और ग्राहकों की जरूरतों को समझने की कोशिश से कंपनी भारत के बदलते बाजार में नई मिसाल कायम कर रही है।