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आईडीबीआई में पूरा हिस्सा नहीं बेचेगी एलआईसी !

Last Updated- December 11, 2022 | 9:08 PM IST

आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने जा रही भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की मंशा आईडीबीआई बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की नहीं है क्योंकि यह बैंक-बीमा चैनल में यह बैंक एलआईसी का रणनीतिक साझेदार है। एलआईसी के चेयरमैन एम आर कुमार ने कहा कि जब सार्वजनिक क्षेत्र के बीमाकर्ता बैंक बीमा कारोबार में विस्तार की संभावना तलाश रहे हैं, ऐसे में आईडीबीआई बैंक के साथ उसके रिश्ते काफी महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।
कुमार ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव के कारण बाजार में उठापटक के बावजूद एलआईसी मार्च में अपना आईपीओ लाने की तैयारी में है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने भी मार्च में आईपीओ लाने की बात कई बार कही है। आईपीओ से पहले संवाददाता सम्मेलन में कुमार ने कहा, ‘हम आईडीबीआई बैंक में अपनी कुछ हिस्सेदारी बनाए रखना चाहेंगे। बैंक में हिस्सेदारी लेने के पीछे रणनीतिक कारण है। हमारे बैंक बीमा चैनल में आईडीबीआई बैंक सबसे मजबूत भागीदार है।’ उन्होंने कहा कि सूचीबद्घता के बाद जब हम बैंक बीमा कारोबार का विस्तार करना चाहेंगे तो इससे हमें वास्तव में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘एलआईसी के चेयरमैन के तौर पर मैं भविष्य में भी इस रिश्ते को बरकार रखना चाहूंगा।’ एलआईसी ने 2019 में आईडीबीआई बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी ली थी और 2020 में उसे घटाकर 49.24 फीसदी कर लिया था। वर्तमान में सरकार और एलआईसी की बैंक में 94.71 फीसदी हिस्सेदारी है।
सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने की संभावना तलाश रही है और एलआईसी भी हिस्सेदारी कम करना चाह रही है लेकिन कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी, इसका खुलासा नहीं किया गया है। कुमार ने कहा, ‘विनिवेश की कवायद सरकार और दीपम पर निर्भर करता है लेकिन रणनीतिक साझेदारी के उद्देश्य से हम बैंक में कुछ हिस्सेदारी बनाए रखेंगे, जो एलआईसीआई और आईडीबीआई बैंक दोनों के लिए फायदे का सौदा होगा।’
एलआईसी आईडीबीआई बैंक और एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस दोनों की प्रवर्तक कंपनी है और दोनों ही मॉर्गेज कारोबार से जुड़ी है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ने एलआईसी को नवंबर 2023 तक आवास वित्त कारोबार में किसी एक इकाई में हिस्सेदारी घटाने की मोहलत दी है। कुमार ने कहा कि आरबीआई ने हमें एलआईसी हाउसिंग और आईडीबीआई बैंक मामले में नवंबर 2023 तक का वक्त दिया है। इससे पहले ही हम इस बारे में निर्णय ले लेंगे।
निजी बीमाकर्ताओं की तरह अधिशेष वितरण व्यवस्था के लिए एलआईसी अधिनियम की धारा 24 में संशोधन से पहले तक एलआईसी के पास एक ‘लाइफ फंड’ था। लेकिन अब उसे दो फंडों में बांट दिया गया है – पार्टिसिपेटिंग पॉलिसीधारक फंड और नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसीधारक फंड। इसके अनुसार पार्टिसिपेटिंग पॉलिसीधारक फंड में अधिशेष वितरण के अनुपात में चरणबद्घ तरीके से बदलाव कर 90:10 कर दिया गया, जिसमें 90 फीसदी पॉलिसीधारकों को मिलता है और 10 फीसदी शेयरधारकों के हिस्से में जाता है। नॉन-पार्टिसिपेटिंग कारोबार का अधिशेष 100 फीसदी शेयरधारकों के बीच बांटने के लिए उपलब्ध होगा। कुमार ने कहा कि इस बदलाव से एलआईसी को अपना मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘अधिशेष वितरण में बदलाव से आगे मुनाफा बढ़ेगा।’
कुमार ने कहा कि सूचीबद्घता के बाद एलआईसी ऐसे उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करेगा जिसमें बीमाकर्ता का मार्जिन ज्यादा होता है। एलआईसी बैंक बीमा चैनल का लाभ उठाएगी और इसके लिए अनुकूल उत्पाद भी लाएगी। निजी जीवन बीमा कंपनियों के लिए बैंक बीमा कारोबार आय का अहम स्रोत है। उन्होंने कहा कि बैंक बीमा कारोबार में हम समय के साथ विकास कर रहे हैं। हमने 58,000 बैंक शाखाओं के साथ गठजोड़ किया है और यह किसी भी निजी बीमा कंपनी के मुकाबले काफी ज्यादा है।
एलआईसी ने 13 फरवरी को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के पास आईपीओ दस्तावेज जमा कराए हैं। सरकार आईपीओ के जरिये अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। वर्तमान में एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी 100 फीसदी है। मूल्यांकनकर्ता ने एलआईसी का अंतर्निहित मूल्य 5.39 लाख करोड़ रुपये आंका है। 2021 नवंबर तक एलआईसी ने इक्विटी बाजार से 40,000 करोड़ रुपये की कमाई की थी जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 37,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

First Published - February 21, 2022 | 11:08 PM IST

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