देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को जून में नए कारोबारी प्रीमियम में वृद्धि की उम्मीद है। कोविड-19 महामारी ने देश के इस सबसे बड़े संस्थागत निवेशक पर भी चोट की है, जिससे मार्च, अप्रैल और मई में इसका कारोबार प्रभावित हो गया। हालांकि अब एलआईसी को मार्च, अप्रैल और मई में नए प्रीमियम कारोबार में इजाफा होने की उम्मीद है। हालांकि कंपनी के लिए नई पॉलिसियों की बिक्री में सुस्ती अब भी चिंता का विषय है।
कोविड-19 के प्रसार और उसके बाद मार्च के उत्तराद्र्ध में लॉकडाउन लागू होने से मार्च में एलआईसी के नए कारोबारी प्रीमियम में सालाना आधार पर 31 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। अमूमन मार्च जीवन बीमा कंपनियों के लिए कारोबार के लिहाज से सबसे उम्दा माना जाता है क्योंकि लोग अक्सर कर बचत के लिए अधिक से अधिक पॉलिसियां खरीदते हैं। अप्रैल में एलआईसी का नया कारोबारी प्रीमियम साल दर साल आधार पर 32 प्रतिशत कम हो गया। वहीं मई में भी यह साल दर साल आधार पर 24 प्रतिशत तक फिसल गया। वित्त वर्ष 2021 के पहले दो महीनों में जीवन बीमा कंपनियों के नए कारोबारी प्रीयियम में सलााना आधार पर 30 प्रतिशत गिरावट आई है।
किसी खास वर्ष में जीवन बीमा कंपनियां नई पॉलिसियों से जितना प्रीमियम हासिल करती हैं, उसे नया कारोबारी प्रीमियम कहा जाता है। एलआईसी के प्रबंध निदेशक राज कुमार ने आगे की कारोबारी संभावनाओं पर कहा, ‘अप्रैल में नया कारोबार फिसलने के बाद मई से इसमें तेजी आनी शुरू हो गई है। जून में पहले वर्ष की प्रीमियम आय में 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दिख रही है। हालांकि पॉलिसियों की बिक्री पिछले वर्ष के मुकाबले ना के बराबर है।’ उन्होंने कहा कि जून के अंत तक एलआईसी पहले वर्ष के प्रीमियम की दर शून्य से नीचे खिसकने (ऋणात्मक) से बाहर आ जाएगी। राज कुमार ने कहा कि एक बार इससे बाहर आने पर पॉलिसियों की बिक्री बढ़ाने पर जोर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जून के अंत तक पहले वर्ष के प्रीमियम में सलाना आधार पर तेजी आने की उम्मीद है।
एलआईसी परंपरागत रूप से अपने कारोबार के लिए अपने अभिकर्ताओं (एजेंट) पर निर्भर रही है। मई 2020 तक कंपनी के एजेंटों की संख्या 12.2 करोड़ थी। लॉकडाउन के बाद लोगों की आवाजाही थम गई थी, इसलिए कारोबार प्रभावित होने के साथ ही नए ग्राहकों तक पहुंचना भी एजेंटों के लिए संभव नहीं रह गया। इसके साथ ही ग्राहकों को सेवाएं देने में भी बाधा पहुंची। जिन ग्राहकों की 5 लाख रुपये तक की पॉलिसी मार्च 2020 में परिपक्व हो रही थी और जिन लोगों के एनईएफटी से जुड़ी जानकारी एलआईसी के पास पास थी, उनके दावे बिना डिस्चार्ज फॉर्म या पॉलिसी बॉन्ड के निपटा दिए गए। दावों के निपटान की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए एलआईसी ने इलेक्ट्रॉनिक मेल के जरिये दावा परिपत्रों की स्कैन की हुई प्रति स्वीकार कर ली।
