भारत में अधिग्रहण की संभावना तलाश रहा लिबर्टी स्टील समूह

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 3:12 AM IST

इस साल मार्च में 500 करोड़ रुपये में आधुनिक मेटलिक्स लिमिटेड का अधिग्रहण करने वाला लंदन का लिबर्टी स्टील समूह भारत में और अधिग्रहण की संभावना तलाश रहा है क्योंकि लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी तेज होने की उम्मीद जताई गई है।
समूह की स्थापना पहली पीढ़ी के उद्यमी संजीव गुप्ता ने की, जिन्होंने पूरी दुनिया में दबाव वाली कई परिसंपत्तियां खरीदी। साल 2017 में समूह ने टाटा स्टील के ब्रिटिश स्पेशियलिटी कारोबार का अधिग्रहण 10 करोड़ पाउंड में किया, जिससे स्थानीय स्तर पर 1,700 नौकरियों की सुरक्षा हुई। इस साल जुलाई में गुप्ता के हवाले से कहा गया था कि टाटा स्टील के पोर्ट टालबोट प्लांट का अधिग्रहण करने के लिए टाटा स्टील यूके के साथ हाथ मिलाने में उनकी दिलचस्पी होगी। बातचीत अभी चल रही है।
आधुनिक मेटलिक्स के अधिग्रहण के बाद पहले कदम के तौर पर लिबर्टी की योजना कंपनी के ओडिशा संयंत्र की क्षमता दोगुनी कर 10 लाख टन करने की है। इसके साथ ही पांच साल तक बंद रहने वाले इस संयंत्र में अगले महीने उत्पादन शुरू हो जाएगा और इस तरह से 2,200 लोगों की नौकरियां बच जाएंगी। यह कहना है लिबर्टी के आला अधिकारियों का।
लिबर्टी स्टील समूह के अधिकारियों ने कहा कि संजीव गुप्ता की अगुआई वाले गुप्ता फैमिली ग्रुप अलायंस की तरफ से भारतीय दिवालिया प्रक्रिया के तहत आधुनिक मेटलिक्स पहला बड़ा निवेश होगा। लिबर्टी स्टील समूह गुप्ता फैमिली ग्रुप अलायंस का एक हिस्सा है। कंपनी इससे पहले दबाव वाली अन्य परिसंपत्तियों मसलन एमटेक ऑटो के अधिग्रहण की कोशिश कर चुकी है, लेकिन अहम मसलों पर स्पष्टता के अभाव और गलत सूचना के कारण यह सौदा नहीं कर पाई। तब बैंकों ने समूह के खिलाफ कार्रवाई की धमकी भी दी थी क्योंकि लेनदारों की तरफ से उसकी पेशकश की मंजूरी के बाद उसने हाथ खींच लिए थे। यह मामला हालांकि आपसी सहमति से निपटा लिया गया।
कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद आधुनिक मेटलिक्स में पूंजी लगाई गई ताकि कंपनी लंबी बंदी के बाद पटरी पर लौट सके। आधुनिक मेटलिक्स को बैंकों ने पहले 5,000 करोड़ रुपये उधार दिए थे, लेकिन कर्ज समाधान के लिे उसे दिवालिया अदालत में घसीट लिया गया जब पूर्व मालिक कारोबार का परिचालन बनाए रखने में नाकाम हो गए। लिबर्टी ने जियॉन स्टील लिमिटेड का भी अधिग्रहण किया है, जो आधुनिक मेटलिक्स के लिए टीएमटी बार्स का उथ्पादन कर रही है।
कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि भारत में लिबर्टी की रणनीति चार अहम चीजें से आगे बढ़ रही है – स्टील व एल्युमीनियम की बढ़ रही मांग, इन क्षेत्रों को कार्बनमुक्त करने की तत्काल जरूरत, पारंपरिक विनिर्माण उद्योग में नए निवेश की दरकार और बदलती दुनिया में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने की आवश्यकता।
जीएफजी अलायंस के सीएफओ (ग्लोबल) वी अशोक ने कहा, हमारी रणनीति हमें मौकों की पहचान में सक्षम बनाती है और अपने उद्योगों में सकारात्मक बदलाव लाती है। इसका मतलब यह है कि स्वकेंद्रित बदलाव के सृजन की खातिर कर्मचारियों संग साझेदारी, अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल के जरिये विनिर्माण प्रक्रिया में बदलाव व उत्पादन में तेज बढ़ोतरी के लिए औद्योगिक साइट के आधुनिकीकरण को पीछे छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा, इससे लागत घटती है, उत्सर्जन कम होता है और स्थायी लाभ हासिल होता है। साथ ही परिचालन स्थल वाले समुदाय के लिए लंबी अवधि का रोजगार सुनिश्चित होता है।

First Published : August 20, 2020 | 12:07 AM IST