देश की चौथी सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी रातोंरात बर्बादी की कगार पर पहुंच गई। कंपनी की यह हालत और किसी से नहीं, बल्कि इस कंपनी को बनाने वाले कंपनी के संस्थापक एवं चेयरमैन बी रामलिंग राजू के हाथों हुई।
पिछले महीने दिसंबर में मायटास समूह की दो कंपनियों को नहीं खरीद पाने की वजह से कंपनी ने कई उतार-चढ़ाव देखे। पहले तो कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका पर उंगली उठाई गई और उसके बाद बारी आई संस्थापक रामलिंग राजू की।
कंपनी के शेयरों की कीमत जहां तेजी से औंधे मुंह गिर रही थी, वहीं राजू के एक बयान ने निवेशकों, नियामकों और कंपनी के ग्राहकों-सभी की दुश्मनी मोल ले ली।
रामलिंग राजू ने तो अपना बयान देकर कह दिया कि कंपनी के वित्तीय आंकड़ों में उन्होंने धोखाधड़ी की है और अपनी इस गलती के लिए वे किसी भी तरह की कानूनी जंग और सजा के लिए तैयार हैं।
लेकिन इसका खामियाजा कंपनी को अपनी कीमत खोकर देनी पड़ी। कंपनी के शेयर बीएसई में शुक्रवार को लगभग 21 रुपये के स्तर तक लुढ़क आए। न सिर्फ इतना बल्कि कंपनी के दफ्तर में नियामक और दूसरी जांचकर्ता एजेंसियों ने अपने डेरे डाल लिए।
देश तो देश विदेशों में भी राजू की भूमिका पर सवाल उठाए गए। कुछ विशेषज्ञों ने तो सत्यम प्रकरण को भारतीय एनरॉन और राजू को भारतीय मैडॉफ की संज्ञा दे दी। रामलिंग राजू के बयान के बाद कंपनी की विश्वसनीयता पर कॉर्पोरेट दिग्गज भी बढ़ चढ़ कर बोल रहे है।
विप्रो के मुख्य वित्त अधिकारी सुरेश सेनापति ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा, ‘शेयरधारकों को गुमराह करने की किसी भी कोशिश की विप्रो आलोचना करती है। कॉर्पोरेट पारदर्शिता बरती जानी चाहिए।’
इतना ही नहीं सेबी के पूर्व अध्यक्ष एम दामोदरन का कहना है, ‘सत्यम कॉर्पोरेट धोखा करने वाली पहली कंपनी नहीं है और न ही आखिरी। अब निवेशकों को खुद सतर्क रहना चाहिए और प्रशासन को भी हर कदम पर ध्यान रखना चाहिए।’
विदेशी मीडिया ने भी सत्यम कंप्यूटर्स की कम आलोचना नहीं की। ब्रिटेन के अखबार फाइनैंशियल टाइम्स ने कहा है, ‘खुलासा विश्व भर की सैकड़ों फर्च्यून 500 कंपनियों के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि सत्यम के पास उनके महत्त्वपूर्ण दस्तावेज और कंप्यूटर प्रणाली की जानकारियां मौजूद हैं।
इसके अलावा कई विदेशी अखबारों में कहा गया कि अब भारत की दूसरी आईटी कंपनियों के नतीजों पर भी निवेशकों की कड़ी नजर रहेगी।’
अमेरिका की दो कानूनी कंपनियां इजार्ड नोबेल एलएलपी और वायानेल और वायानेल एलएलपी ने सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के खिलाफ ‘क्लास एक्शन’ कानूनी मुकदमा दायर किया है।
इन कंपनियों ने उन शेयरधारकों की ओर से यह मुकदमा दायर किया है, जिनके पास कंपनी की अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट (एडीआर) है। न सिर्फ इतना अब इन मामलों की सुनवाई पर रामलिंग राजू पर आरोप साबित किए जाएंगे।
हालांकि अपनी सफाई देते हुए राजू ने कहा है, ‘न मैंने और न ही प्रबंध निदेशक ने कंपनी में से एक भी रुपयाडॉलर नहीं लिया है और न ही बहीखातों में गलत परिणामों से वित्तीय मामले में कोई फायदा उठाया है।’