सूत्रों का कहना है कि शेयर आवंटन कंपनी कानून का उल्लंघन करता है।
डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्रीज (डीएसआईएल) की ओर से वारंट इश्यू एक बार फिर विवादों के घेरे में है। हरीश भसीन की एचबी स्टॉकहोल्डिंग्स ने कंपनी के इस आवंटन को कंपनी लॉ बोर्ड में चुनौती दी है।
पहले चरण में 7 लाख शेयरों का दिसंबर 2007 में आवंटन किया गया था और इससे कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 32.54 से बढ़कर 35.54 प्रतिशत हो गई।
इन 7 लाख शेयरों में से 6.90 लाख शेयर वरसा ट्रेडिंग को जारी कर दिए गए हैं।
एचबी स्टॉकहोल्डिंग्स का दावा है कि वरसा टे्रडिंग (पहले डीसीएम श्रीराम लीजिंग ऐंड फाइनैंस) डीएसआईएल की सहायक कंपनी है। डीएसआईएल के पास 49.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
उसे शेयर आवंटित नहीं किए जा सकते। इस मामले में नजर रखे हुए सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि यह आवंटन कंपनी कानून के कुछ प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
दूसरी ओर डीएसआईएल के प्रबंधन का कहना है कि आवंटन समुचित प्रावधानों के तहत किया गया। कंपनी लॉ बोर्ड की इस मामले पर सुनवाई इस सप्ताह के अंत में करने की संभावना है।
डीएसआईएल बोर्ड ने 7 लाख वारंट (21 लाख शेयरों में परिवर्तनीय) प्रमोटरों और प्रमोटर समूह को जारी करने का निर्णय लिया था, ताकि आवश्यक कार्यकारी पूंजी जुटाई जा सके और कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके।
कंपनी की योजना है कि वह प्रमोटरों की हिस्सेदारी को 32.54 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत तक ले जाए, जिससे कि हरीश भसीन के कंपनी को अपने अधिकार में लेने के प्रयास को दरकिनार किया जा सके।
बताया जा रहा है कि वरसा ट्रेडिंग ने वारंट के लिए 18.63 करोड़ रुपये का पूरा भुगतान कर दिया है। यह भी अस्पष्ट है कि यदि 7.8 करोड़ रुपये का उसका ऋण अभी भी बकाया है तो उसे शेयर क्यों जारी किए गए।
एचबी का कहना है कि यदि वारंट जारी करने का मकसद पूंजी जुटाना था तो डीएसआईएल को वरसा ट्रेडिंग से कर्ज की वसूली करनी चाहिए थी।’
डीएसआईएल की 2006-07 की वार्षिक रिपोर्ट में इस रकम को संदिग्ध उधार के लिए प्रावधान बताया गया है।
एचबी की कंपनी में हिस्सेदारी 12.87 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई , जब नवंबर में ओपन ऑफर के तहत डीएसआईएल के 22.88 प्रतिशत शेयरों को खरीदने की घोषणा की थी।
इस ऑफर को अभी सेबी से हरी झंडी मिलनी बाकी है, एचबी ने खुले बाजार में शेयरों की खरीद से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा ली है।
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डीएसआईएल ने 7 लाख वारंट (21 लाख शेयरों में परिवर्तनीय) प्रमोटरों और प्रमोटर समूह को जारी करने का निर्णय लिया था, ताकि आवश्यक कार्यकारी पूंजी पा सके और कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके।