facebookmetapixel
Q2 Results: VI, Hudco, KPIT से लेकर SJVN तक; Q2 में किसका क्या रहा हाल?गोल्डमैन सैक्स ने भारत की रेटिंग बढ़ाई, ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘ओवरवेट’ कियाGST छूट और बढ़ती मांग से जीवन बीमा कंपनियों का न्यू बिजनेस प्रीमियम अक्टूबर में 12% बढ़ालेंसकार्ट का IPO उतार-चढ़ाव भरा, शुरुआती कारोबार में मामूली बढ़त के साथ बंदअक्टूबर में स्वास्थ्य बीमा में रिकॉर्ड 38% उछाल, खुदरा योजनाओं और GST कटौती से प्रीमियम में आई तेजीत्योहारी सीजन में क्रेडिट कार्ड से खर्च में आई 15% की तेजी, HDFC और ICICI Bank रहे शीर्ष परHNI को अच्छे लाभ की चाहत, पोर्टफोलियो मैनेजरों की तलाश में अमीरदेश में घटी बेरोजगारी दर, श्रम बाजार में आई तेजी से रोजगार के नए अवसरों में हुआ इजाफाकेंद्रीय बजट 2026-27 पर निर्मला सीतारमण ने अर्थशास्त्रियों से की अहम बैठकEditorial: न्यायालय के भरोसे न रहें, भारत समेत कई देशों में हलचल

ला रोश को भा गई एक्टिस की दवा

Last Updated- December 05, 2022 | 4:53 PM IST

सिप्ला के हाथों हाल ही में मात खाने वाली स्विट्जरलैंड की मशहूर दवा कंपनी हॉफमैन-ला रोश अब एक्टिस बायोलॉजिक्स के साथ बड़ा करार करने की कोशिश में लगी है।


इस करार के जरिये वह एक्टिस की कैंसर रोधी दवाओं पर शोध और मार्केटिंग के अधिकार हासिल करने के लिए बातचीत कर रही है।एक्टिस बायोलॉजिक्स के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी संजीव सक्सेना ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘रोश ने कैंसर की हमारी दवाओं मे काफी दिलचस्पी दिखाई है। इस बारे में बातचीत के लिए अगले हफ्ते हम न्यूयॉर्क में भी मुलाकात करेंगे।’


अभी तक कोई भी भारतीय दवा या जैव प्रौद्योगिकी (बायोटेक) कंपनी अपने दम पर ही बायोटेक दवा या लाइसेंस तैयार नहीं कर सकी है। किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी को इस मामले में वे अपना ग्राहक भी नहीं बना पाई हैं। फाइजर और रोश जैसी बड़ी कंपनियां अक्सर दवा अनुसंधान कंपनियों को ही मोटी रकम पर खरीद लेती हैं। इस तरह उन कंपनियों में विकसित दवाओं पर भी बड़ी कंपनियों का अधिकार हो जाता है।


एक्टिस आंत के महत्वपूर्ण हिस्से कोलॉन में होने वाले कैंसर और कई दूसरी बीमारियों के इलाज में प्रभावी दवा ‘एंजियोजाइम’ पर शोध कर रही है। इस दवा को उसने मर्क समूह की कंपनी सिरना थेराप्युटिक्स से हासिल किया था। मलेशिया और भारत में इस दवा का क्लीनिकल शोध तीसरे चरण के परीक्षण में पहुंच गया है और 6 महीने के भीतर ही अमेरिका में भी इसका परीक्षण शुरू हो जाएगा।


सक्सेना ने बताया कि जेनटेक द्वारा निर्मित और रोश द्वारा वितरित की जाने वाली अवेस्तिन ही इस तरह की दवा है। इस दवा की बिक्री से लगभग 8,800 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है।एक्टिस स्तन कैंसर और प्रोस्ट्रेट ग्रंथि के कैंसर का उपचार करने के लिए एमएसपी-36 नाम की जीन थेरेपी विकसित कर रही है। इसका परीक्षण अभी पहले चरण में ही है। इसके अलावा एक्टिस अमेरिका की बड़ी शोध कंपनियों के साथ मिलकर एड्स जैसी बीमारियों के लिए इम्यूनोथेरेपी विकसित करने में भी योगदान दे रही है।


सक्सेना ने बताया कि कंपनी जल्द ही अमेरिका के अग्रणी कैंसर शोध संस्थान के साथ बच्चों की दवाएं विकसित करने के लिए कई तरह के समझौते करने जा रही है। इससे कंपनी की उत्पाद शृंखला में काफी बढ़ोतरी हो जाएगी।सक्सेना ने बताया कि कंपनी बायोसिटी के दूसरे चरण के लिए मलेशिया में लगभग 270 एकड़ भूमि भी खरीदने वाली है। इसके लिए कंपनी पहले 40 अरब रुपये का निवेश करेगी। कंपनी को मलेशियाई सरकार से 500 एकड़ भूमि और मिलने वाली है।

First Published - March 22, 2008 | 12:40 AM IST

संबंधित पोस्ट