जेएसडब्ल्यू स्टील समूह ने शुक्रवार को भूषण पावर ऐंड स्टील (बीपीएसएल) के अध्रिगहण के लिए उसके लेनदारों के साथ 19,350 करोड़ रुपये का लेनदेन पूरा किया। इसके साथ ही बीपीएसएल के लिए कॉरपोरेट ऋण शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) भी खत्म हो गई जो करीब साढ़े तीन साल तक चली।
इस सौदे के लिए 19,350 करोड़ रुपये के लेनदेन को इक्विटी एवं ऋण दोनों के जरिये वित्त पोषित किया गया है। भुगतान के तहत पियोम्बिनो स्टील लिमिटेड (पीएसएल) में 8,614 करोड़ रुपये की व्यवस्था इक्विटी, वैकल्पिक तौर पर परिवर्तनीय ऋण पत्रों और ऋण के जरिये की गई। इसमें से 8,550 करोड़ रुपये का निवेश एक विशेष उद्देशीय कंपनी (एसपीवी) माकलर प्राइवेट लिमिटेड में किया गया था जो बोली लगाने वाली कंपनी है। शेष 10,800 करोड़ रुपये की व्यवस्था ऋण के जरिये की गई।
जेएसडब्ल्यू ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि इस समाधान योजना में बीपीएसएल के वित्तीय लेनदारों को 19,350 करोड़ रुपये का भुगतान और एसपीवी का विलय शामिल हैं। कंपनी ने कहा है कि इस समाधान योजना के लागू होने के बाद बीपीएसएल में पीएसएल की 100 फीसदी शेयर हिस्सेदारी हो जाएगी। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी शेषागिरि राव ने कहा कि कंपनी ने आज उस परिसंपत्ति का प्रभार हासिल किया है।
जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने बीपीएसएल के कर्मचारियों को लिखे एक पत्र में कहा है कि बीपीएसएल जेएसडब्ल्यू स्टील के इतिहास का सबसे बड़ा अधिग्रहण है। उन्होंने कहा, ‘यह अधिग्रहण न केवल हमारे प्रमुख कारोबार एवं उद्देश्य के अनुरूप है बल्कि इससे पूर्वी भारत में हमारी मौजूदगी स्थापित होगी और वृद्धि संबंधी हमारे दृष्टिकोण को रफ्तार मिलेगी।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे पता है कि इस आकार के किसी नए इस्पात संयंत्र को स्थापित करना कितना मुश्किल है। यह परिसंपत्ति वास्तव में आपके अथक पयासों का प्रमाण है।’
लेनदारों के साथ यह सौदा ऐसे समय में पूरा हुआ है जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि दोनों पक्ष 31 मार्च से पहले लेनदेन पूरा करना चाहते थे। भुगतान के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना को नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद करीब डेढ़ साल से लेनदार भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। लेनदारों को उनके 47,157.99 करोड़ रुपये के दावे में से 41.03 फीसदी रकम हासिल होगी।
बीपीएसएल का शीर्ष वित्तीय लेनदार एसबीआई है जिसका 9,825 करोड़ रुपये का बकाया है। इसके बाद पीएनबी का 7,355 करोड़ रुपये (ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के दावों के साथ) का बकाया, केनरा बैंक का 4,018 करोड़ रुपये (सिंडिकेट बैंक के दावे के साथ) का बकाया, यूनियन बैंक का 3,407 करोड़ रुपये (आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक के दावों के साथ) का बकाया और ऐसेट केयर ऐंड रीकंस्ट्रक्शन एंटरप्राइज का 5,275 करोड़ रुपये का बकाया है। एसबीआई को इस सौदे से करीब 4,000 करोड़ रुपये की वसूली होने की उम्मीद है।
बीपीएसएल ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा समाधान के लिए तैयार 12 गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की पहली सूची में शामिल थी। इस लेनदेन को पूरा करने के लिए अधिकतर लेनदारों ने 5 मार्च को जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना के तहत भुगतान स्वीकार करने के लिए इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था। इस सौदे से परिचालन लेनदारों के 733.76 करोड़ रुपये के दावों में से 47.69 फीसदी की वसूली हो पाएगी।
ओडिशा के झारसुगुडा में 25 लाख टन क्षमता वाला बीपीएसएल संयंत्र जेएसडब्ल्यू स्टील को शीर्ष इस्पात विनिर्माता के तौर पर स्थापित करेगी और यदि इसमें मोनेट इस्पात ऐंड एनर्जी (एऑन के साथ मिलकर अधिग्रहण) को भी शामिल कर दिया जाए तो वह टाटा स्टील (2.06 करोड़ टन) से भी आगे निकल जाएगी। जेएसडब्ल्यू स्टील की उत्पादन क्षमता 1.8 करोड़ टन है। इस अधिगहण से उसे पूर्वी भारत में अपना पैर जमाने में मदद मिलेगी।