ठीक एक साल पहले, भूषण पावर ऐंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) के लिए सज्जन जिंदल के स्वामित्व वाली जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) द्वारा मंजूरी दी गई थी और इससे भारतीय ऋणदाताओं ने राहत की सांस ली थी, क्योंकि कंपनी द्वारा लिए गए 48,000 करोड़ रुपये के कर्ज के समाधान का जुलाई 2017 से ही इंतजार कर रहे थे। सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक बार फिर जेएसडब्ल्यू अधिग्रहण मामले पर निर्णायक सुनवाई आगे बढ़ा दी जिससे ऋणदाताओं का इंतजार लंबा हो गया है।
कंपनी आईबीसी के तहत कर्ज समाधान के लिए भेजी जाने वाली कंपनियों के लिए आरबीआई की पहली सूची में शामिल थी।
जेएसडब्ल्यू पिछले साल सबसे बड़ी बोलीदाता घोषित होने के बाद से प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कई जांच की वजह से जिंदल के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। इसमें रिजोल्यूशन प्रोफेशनल के खिलाफ ताजा मामला, और सर्वोच्च न्यायालय में निर्णायक सुनवाई को कई बार आगे बढ़ाया जाना आदि शामिल हैं। इस घटनाक्रम से नजदीकी से जुड़े एक बैंकर ने कहा, ‘इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है कि अधिग्रहण को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कब स्वीकृति मिलेगी। यदि जेएसडब्ल्यू सेप्राप्त 20,000 करोड़ रुपये पूंजी पर्याप्तता अनुपात में शामिल किए जाएं तो भारतीय बैंकों को अतिरिक्त 1.6 लाख करोड़ रुपये देने पड़ सकते हैं।’ अधिकारी ने कहा, ‘कानूनी प्रक्रिया और कंपनी के अधिग्रहण में विलंब भारत में व्यवसाय आसानी से करने के खिलाफ हैं और जेएसडब्ल्यू जैसे बोलीदाता अपनी प्लान बी के बारे में जल्द सोचेंगे।’
जेएसडब्ल्यू स्टील के अधिकारियों ने इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय में, जेएसडब्ल्यू स्टील पूर्व प्रवर्तक संजय सिंगल द्वारा स्वीकार किए गए कथित अपराध से छुटकारा पाने की संभावना तलाश रही है। ईडी ने सर्वोच्च न्यायालय में जेएसडब्ल्यू स्टील अधिग्रहण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह बीपीएसएल की सहायक कंपनी थी। जेएसडब्ल्यू स्टील, बीपीएसएल और जय बालाजी स्पंज की कोयला खनन उद्यम रॉन कोल में हिस्सेदारी है, जिस वजह से ईडी के अनुसार जेएसब्ल्यू सहायक कंपनी बन गई है।