नामी अमेरिकी दवा कंपनी जॉनसन ऐंड जॉनसन (जेऐंडजे) ने भारतीय दवा नियामक से अपने कोविड-19 रोधी टीके के इस्तेमाल की इजाजत मांगी है। कंपनी के टीके की केवल एक खुराक देनी पड़ती है, जिसके इस्तेमाल के लिए आवेदन उसने इसी हफ्ते सौंपा है। अभी यह पता नहीं चला है कि उसने दूसरी अमेरिकी कंपनियों की तरह टीके के प्रतिकूल प्रभाव की स्थिति में कानूनी बचाव मांगा है या नहीं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने संकेत दिए हैं कि फाइजर और मॉडर्ना की भारत में कोई सहायक इकाई नहीं है मगर जेऐंडजे की साझेदार मौजूद है इसलिए उसके लिए कानूनी सुरक्षा पाना मुश्किल नहीं होगा। स्पूतनिक वी, फाइजर-बायोनटेक और मॉडर्ना के बाद जेऐंडजे चौथी ऐसी कंपनी होगी जिसका कोविड-19 से बचाव का टीका बाजार में उपलब्ध होगा। भारत में स्पूतनिक वी को पहले ही अनुमति मिल चुकी है और हैदराबाद की कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज इसे बाजार में बेच रही है। फाइजर और मॉडर्ना भी टीके का प्रतिकूल प्रभाव होने पर कानूनी सुरक्षा से जुड़े मसलों पर सरकार से बातचीत कर रही हैं।
जेऐंडजे इंडिया के एक प्रवक्ता ने टीके के लिए भारतीय दवा नियामक के समक्ष आवेदन की पुष्टि की है। प्रवक्ता ने कहा, ‘5 अगस्त को जॉनसन ऐंड जॉनसन ने अपने टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी भारत सरकार से मांगी है।’ कंपनी ने कहा कि देश में कोविड-19 टीके की उपलब्धता तेजी से बढ़ाने के विषय पर भारत सरकार से उसकी बातचीत पूरी होने वाली है।
इससे पहले कंपनी भारत में अपने टीके के क्लिनिकल परीक्षण कराने के लिए सरकार से बातचीत कर रही थी। कंपनी ने अप्रैल में संकेत दिया था कि वह अपने टीके के अध्ययन के लिए भारत सरकार से बात कर रही है।
जिन टीकों को विदेशी नियामकों जैसे यूएसएफडीए या यूके-एमएचआरए से अनुमति मिल चुकी है उनका भारत में भी परीक्षण करने की शर्त सरकार समाप्त कर चुकी है। इस तरह टीका कंपनियां अब सीधे मंजूरी के लिए आवेदन कर सकती हैं। कंपनी की शाखा जैनसेन द्वारा तैयार टीके को इसी साल फरवरी में अमेरिकी नियामक से इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। यूरोपियन मेडिकल एजेंसी ने भी मार्च में इस टीके को मंजूरी दे दी थी।
जेऐंडजे ने कहा, ‘आपात इस्तेमाल की मंजूरी का आवेदन तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण पर आधारित होता है, जिसमें हमारा एक खुराक वाला टीका सभी क्षेत्रों में गंभीर रोगों पर 85 फीसदी प्रभावी पाया गया है। टीका लगने के 28 दिन बाद ही यह कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मौत से बचाता है।’ कंपनी ने कहा कि उसके आवेदन को सरकार की मंजूरी मिल जाती है तो भारत के लोगों तक उसका टीका पहुंच जाएगा और बायोलॉजिकल ई के साथ मिलकर वह दुनिया के दूसरे देशों में भी अपना टीका पहुंचाएगी। बायोलॉजिकल ई की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्य अधिकारी महिमा दातला ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि जेऐंडजे कंपनी के संयंत्र में 50 करोड़ खुराक बनाना चाहती है। भारत में जेऐंडजे के टीके का उत्पादन क्वाड वैक्सीन पार्टनरशिप (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह) के तहत होगा। फिलहाल इस बार में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। बायोलॉजिकल ई ने भी उत्पादन, भंडार और उत्पादन में इजाफे की योजना के बारे में कुछ नहीं बताया है।
जॉनसन ऐंड जॉनसन ने पहले कहा था कि उसका टीका 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर तीन महीने तक ठीक रह सकता है और कंपनी कैंसर, प्रतिरक्षा विकारों एवं अन्य रोगों की दवाओं की आपूर्ति में इस्तेमाल होने वाली अपनी कोल्ड चेन तकनीक का ही इस्तेमाल करेगी।
