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जेटलाइट नहीं शुरू करेगी इंटरनेशनल फ्लाइट

Last Updated- December 07, 2022 | 8:42 AM IST

ईंधन की बढ़ती कीमत और मंदी की वजह से जून में ही 40 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान झेल चुकी कम किराये वाली विमानन कंपनी जेटलाइट बड़े पैमाने पर अपनी उड़ानों का कार्यक्रम बदलने जा रही है।


जेटलाइट अगस्त से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू  करने वाली थी, लेकिन फिलहाल उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इसके अलावा वह अगस्त में अपने 18 बोइंग विमानों में से 3 की उड़ानें भी बंद कर देगी। इसके अलावा कंपनी अपनी 131 दैनिक घरेलू उड़ानों में से भी 20 को बंद कर देगी।

जेटलाइट लागत कम करने के लिए किंगफिशर एयरलाइंस और गोएयर की ही तरह तरीके आजमा रही है। किंगफिशर ने विदेशों में अपनी उड़ान शुरू करने की योजना कुछ समय के लिए टालने का मन बनाया है। गोएयर ने भी लागत कम करने के लिए 10 फीसद कर्मचारियों की छंटनी और कुछ घरेलू उड़ानें बंद करने की रणनीति अपनाई है। जेटलाइट फिलहाल दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों पर प्राइम स्लॉट अपने पास रहने देने के लिए बातचीत कर रही है। दरअसल एक बार स्लॉट खो देने पर दोबारा उसे हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाता है। हो सकता है कि कुछ  समय के लिए जेट एयरवेज ये स्लॉट ले लेगी।

जेटलाइट ने हाल ही में पश्चिम एशिया के दोहा, कतर, मस्कट, अबूधाबी और शारजाह जैसे शहरों में उड़ानें शुरू करने की घोषण की थी। इसके लिए कंपनी ने सभी अधिकार भी प्राप्त कर लिए थे। इस साल के पहले तिमाही में कंपनी उड़ानें भी शुरू करने वाली थी। कंपनी की योजना कम कीमत में उड़ान सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस का बाजार कब्जाने की थी। लेकिन विमान ईंधन की कीमत बढ़ने के कारण और इस श्रेणी में एयर अरेबिया और अल जजीरा जैसी विमानन कंपनियों के आने से कंपनी खामोश हो गई है।

जेटलाइट के मुख्य परिचालन अधिकारी राजीव गुप्ता ने कहा, ‘हम अभी किसी खाड़ी देश में विमान सेवा शुरू नहीं करने वाले हैं क्योंकि किसी भी नई जगह उड़ानें शुरू करने का मतलब है कि वहां अपनी पकड़ बनाने में लगभग तीन महीने लगेंगे और हम तीन महीनों तक नुकसान झेलने की हालत में नहीं है।’ कंपनी के सूत्रों के अनुसार अगर अभी के हालात को ध्यान में रखा जाए तो पश्चिमी एशिया के लिए एक उड़ान पर कंपनी को 12 लाख से 16 लाख रुपये का नुकसान होगा।

नाम न छापने की शर्त पर कंपनी के एक अधिकारी ने बताया , ‘खाड़ी में बोइंग 737 की उड़ान पर लागत 28,000 रुपये प्रति घंटा आती है। अगर हम अभी परिचालन शुरू करते हैं तो विदेश जाने वाले विमानों में 70 फीसद सीटें भरेंगी और वापसी वाले विमानों में महज 30 फीसद सीटें भर पाएंगी। अगर 50 फीसद सीटें भी भरती हैं, तो टिकटों से हमें महज 12 लाख रुपये मिलेंगे।

अगर हम इन देशों में अपने टिकटों की कीमत 12,000 रुपये भी रखते हैं तो भी हमें हर चक्कर पर लगभग 12 लाख रुपये का नुकसान होगा। अभी हम इतना घाटा उठाने की हालत में नहीं हैं।’ सच्चाई यह भी है कि खाड़ी देश जेट एयरवेज के लिए भी फायदेमंद नहीं रहे हैं। कंपनी ने इसी साल खाड़ी देशों में उड़ाने शुरू की हैं। कंपनी के कुल घाटे में से लगभग दो-तिहाई घाटा कंपनी को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से ही हुआ है।

First Published - June 30, 2008 | 11:28 PM IST

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