आईबीएम के मुख्य कार्य अधिकारी अरविंद कृष्ण ने कहा है कि जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (जेनएआई) साल 2028 तक एक अरब से ज्यादा नई ऐप्लिकेशन बना लेगी। यह बात मुख्य कार्य अधिकारियों (सीईओ) को इस तकनीक में अपना निवेश दोगुना करने के लिए प्रेरित कर रही है।
कृष्ण ने कहा, ‘जैसे-जैसे जेनएआई इसमें (उद्यमों के तंत्र में) राह बना रही है, आईबीएम के सीईओ अध्ययन से पता चल रहा है कि हमारे ग्राहक एआई और उससे भी आगे निवेश को दोगुना या और भी ज्यादा करने की उम्मीद बांध रहे हैं।’ वे अपनी कंपनी के प्रमुख कार्यक्रम आईबीएम थिंक से पहले वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। परिभाषा के अनुसार जेनएआई एक तरह का ऐसा एआई है जो इनपुट या प्रॉम्प्ट के आधार पर टेक्स्ट, इमेज, म्यूजिक जैसी बहुत-सी नई सामग्री बना सकता है।
उद्यम के ग्राहक क्लाउड कंप्यूटिंग और एआई से निवेश पर अपेक्षित प्रतिफल केवल 25 प्रतिशत समय में ही ले ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘(यह) उद्यम डेटा तक पहुंच, विभिन्न ऐप्लिकेशनों की साइलोड प्रकृति और बुनियादी ढांचे में हो रहे विभाजन जैसे कई कारकों से प्रेरित है। यही कारण है कि आईबीएम हाइब्रिड क्लाउड और एआई पर ध्यान दे रही है और हमने इन संयुक्त प्रौद्योगिकियों के संबंध में बहुत सारी घोषणाएं और नवाचार किए हैं।’
आईबीएम ने ऐलान किया कि वाटसनएक्स ऑर्केस्ट्रेट नामक उसका टूल उद्यमों को पांच मिनट से भी कम समय में एजेंटिक एजेंट तैनात करने की सुविधा देगा। यह ऐसी एआई प्रणाली है, जिसे स्वायत्त रूप से निर्णय लेने के लिए डिजाइन किया गया है। इन एजेंटों को एडोब, एमेजॉन वेब सर्विसेज और माइक्रोसॉफ्ट जैसे प्रदाताओं के 80 से अधिक उद्यम ऐप्लिकेशन में शामिल किया जा सकता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकी से उपजी अनिश्चितता एआई पर खर्च को रोक रही है, कृष्ण ने कहा कि रुख इसके विपरीत है। उन्होंने कहा ‘हम वास्तव में लोगों को अपना एआई निवेश दोगुना करते देख रहे हैं। लोग उत्पादकता, लागत बचत पर विचार कर हैं, लेकिन वे अपनी खुद की कंपनियों का राजस्व भी बढ़ाना चाहते हैं।’