दीपक पारेख वर्ष 1978 में उप महा प्रबंधक (Deputy General Manager ) के तौर पर HDFC में शामिल हुए और पिछले 46 वर्षों में भारत के सबसे बड़े एवं बेहद सफल वित्तीय सेवा घरानों में से एक बनने में कामयाब रहे हैं। दीपक पारेख शुक्रवार को चेयरमैन के तौर पर सेवानिवृत हो गए। यह घटनाक्रम HDFC और HDFC Bank मर्जर से एक दिन पहले सामने आया है।
78 वर्षीय पारेख ने चेयरमैन के तौर पर शेयरधारकों को भेजे अपने आखिरी पत्र में कहा, ‘HDFC का मर्जर हो रहा है और मेरी कामना है कि हमारी दयालुता, निष्पक्षता और प्रभावकारिता के हमारे मुख्य सिद्धांत HDFC समूह के ताने-बाने में गहराई से जुड़े रहें।’ HDFC और HDFC Bank का मर्जर कल प्रभावी हो जाएगा और करीब 173 अरब डॉलर के व्यापक बाजार मूल्य के साथ ये दो वित्तीय सेवा कंपनियां एक हो जाएंगी।
पारेख अपने चाचा हसमुखभाई पारेख द्वारा स्थापना के एक साल बाद से ही HDFC में शामिल हो गए थे। तब उन्होंने चेज मैनहटन बैंक में अपनी नौकरी छोड़ दी थी।
आवास वित्त कंपनी HDFC की सबसे बड़ी सफलता HDFC बैंक तैयार करने से जुड़ी थी और भारत सरकार ने इस क्षेत्र को 1994 में निजी निवेश के लिए स्वतंत्र बना दिया था। पारेख ने आदित्य पुरी के साथ मिलकर काम किया, जो अक्टूबर 2020 में बैंक के MD एवं CEO के तौर पर सेवानिवृत हो गए।
HDFC के सभी कर्मियों को HDFC Bank में तब्दील किए जाने के संबंध में भेजे गए अपने संदेश में पारेख ने उन्हें ग्राहक-केंद्रित HDFC की परंपरा की याद दिलाई। उन्होंने कहा, ‘यह नई संभावनाओं से भरा आपका समय है। बदलाव के लिए तैयार रहिए, टीमों के साथ लगातार मिलकर काम कीजिए, एक-दूसरे का सहयोग कीजिए। आपको भविष्य पर ध्यान देना है।’
Also read: गो फर्स्ट के विमान फिर भरेंगे उड़ान, DGCA अगले हफ्ते करेगा तैयारियों का स्पेशल ऑडिट
अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स हाई स्कूल-फोर्ट से पूरी करने वाले पारेख ने कॉमर्स में सिडेनहेम कॉलेज से स्नातक किया था। चार्टर्ड अकाउंटेंट के तौर पर काम करने के लिए वर्ष 1965 में पारेख इंगलैंड चले गए और चेज मैनहटन बैंक से जुड़ गए।
पारेख वर्ष 1997 में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनैंस कंपनी के गैर-कार्यकारी चेयरमैन और ग्लैक्सो इंडिया तथा बरोज वेलकम (इंडिया) के गैर-कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर भी शामिल हुए। वह भारतीय अर्थव्यवस्था के ओरेकल के तौर पर चर्चित थे और उन्हें कैस्ट्रॉल इंडिया, फेयरफैक्स इंडिया होल्डिंग्स कॉरपोरेशन, सीमेंस और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी कई कंपनियों के बोर्ड में शामिल होने का अवसर मिला।