माइक्रोसॉफ्ट के एक शोध में पाया गया है कि वैश्विक औसत के मुकाबले भारतीयों के प्रौद्योगिकी सहायता संबंधित घोटालों का शिकार होने की ज्यादा आशंका है और वे (ऐसी धोखाधड़ी से संबंधित प्रति व्यक्ति) ऐसे स्कैम में औसत 15,000 रुपये से ज्यादा की पूंजी गंवा चुके हैं। 2021 की ग्लोबल टेक सपोर्ट स्कैम रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उपभोक्ताओं को पिछले 12 महीनों में 69 प्रतिशत की अपेक्षाकृत ऊंची स्कैम दर का सामना करना पड़ा, जो वर्ष 2018 में दर्ज 70 प्रतिशत के समान है। इसके विपरीत, वैश्विक रूप से दर्ज किए गए स्कैम में समान अवधि के दौरान 59 प्रतिशत की दर के साथ पांच अंक की गिरावट आई।
यह सर्वे वसंत ऋतु में कराया गया और टेक सपोर्ट धोखाधड़ी से संबंधित लोगों से अपने अनुभव साझा करने को कहा गया था।
भारत में सर्वे में शामिल करीब 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं को लगातार स्कैम का सामना करना पड़ा, जो वर्ष 2018 के मुकाबले आठ अंक की वृद्घि, और 16 प्रतिशत के वैश्विक औसत की तुलना में तीन गुना वृद्घि है। सर्वे में प्रत्येक तीन में से एक (31 प्रतिशत) को ऐसे स्कैम से संबंधित रकम गंवाने की समस्या का सामना करना पड़ा, जो 2018 (14 प्रतिशत) के मुकाबले 17 अंक की वृद्घि है।
भारत में 24-37 उम्र के लोगों को वर्ष 2021 में ऐसे स्कैम से ज्यादा जूझना पड़ा और इनमें से 58 प्रतिशत को लगातार मौद्रिक नुकसान उठाना पड़ा। शोध में यह भी पाया गया कि भारत में घोटालेबाजों के संपर्क में आए 73 प्रतिशत पुरुषों को रकम गंवाने की आशंका ज्यादा थी।
माइक्रोसॉफ्ट हर महीने वैश्विक रूप से ऐसे लोगों से करीब 6,500 शिकायतें प्राप्त करती है जो टेक सपोर्ट स्कैम का शिकार होते हैं, हालांकि यह पिछले वर्षों में औसत महीने में दर्ज 13,000 रिपोर्टों से कम है।