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आईआईएम-बेंगलूर 100 करोड़ रुपये का कोष जुटाएगा

Last Updated- December 11, 2022 | 5:25 AM IST

अरबपति मुकेश अंबानी की अध्यक्षता में भारतीय प्रबंधन संस्थान-बेंगलुर (आईआईएम-बी)  का बोर्ड अपने कैम्पस में विभिन्न शैक्षिक परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए कोष जुटाने के वास्ते एक समिति बना रहा है।
आईआईएम-बी बोर्ड की 2 अप्रैल को बैठक हुई थी जिसमें इस संबंध में अंतिम फैसला लिया गया। आईआईएम-बी कोष जुटाए जाने की औपचारिक रूप से घोषणा करने वाला पहला संस्थान है। इसने शुरू में 100 करोड़ रुपये जुटाए जाने की योजना बनाई है जिसे बाद में बढ़ा कर 500-800 करोड़ रुपये किया जाएगा।
इस कोष का इस्तेमाल शोध, छात्रों के लिए छात्रवृत्तियों, संकाय सदस्यों के लिए पारिश्रमिक, पीठ की स्थापना और कैम्पस में शीर्ष अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन संकाय सदस्यों को आमंत्रित करने में किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन फैकल्टी की यात्रा के प्रायोजन से आईआईएम-बी के अंतरराष्ट्रीय पोर्टफोलियो के विस्तार में मदद मिलेगी और अंतरराष्ट्रीय शोध में इसका दायरा और बढ़ेगा।
आईआईएम-बी  के निदेशक पंकज चंद्रा ने कहा, ‘यह सही है कि हम विभिन्न स्रोतों के माध्यम से कोष जुटाए जाने की संभावना तलाश रहे हैं, लेकिन अभी इस बारे में बातचीत करना अपरिपक्व ही होगा। हम इस पर एक महीने में कोई ठोस फैसला लेंगे।’
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने शुरू में इस संस्थान में अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी के वेतन बिल की राशि के भुगतान में दिलचस्पी दिखाई थी। इस जिम्मेदारी को संभालने के लिए आईआईएम-बी के पास एक समर्पित टीम होगी। संस्थान बड़े पैमाने पर चंदा हासिल करने के लिए अपने सफल एलुमनी की सेवा लिए जाने पर भी विचार कर रहा है।
इसके अलावा संस्थान समाजसेवी संगठनों और औद्योगिक घरानों से भी संपर्क कर रहा है। इस प्रक्रिया से नजदीकी से जुड़े एक प्रोफेसर ने बताया, ‘हम यह मानते हैं कि मौजूदा समय में हालात अच्छे नहीं हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि हम अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहेंगे।’
सभी आईआईएम अपने परिसरों में विभिन्न गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए बड़ी मात्रा में रकम जुटाए जाने की संभावना तलाश रहे हैं। हाल में ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा आईआईएम निदेशकों की एक बैठक आयोजित की गई थी जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि आईआईएम के पास 50 करोड़ रुपये से अधिक का एंडाउमेंट फंड हो सकता है।
एमएचआरडी ने शुरू में यह आपत्ति जताई थी कि संस्थान शैक्षिक गतिविधियों के लिए मिले सरकारी कोष का इस्तेमाल फंड तैयार करने के लिए नहीं कर सकते।

First Published - May 4, 2009 | 1:54 PM IST

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