इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीमों के नियंत्रणकर्ता अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच सकते हैं। इसकी वजह यह है आईपीएल मैचों के मीडिया अधिकारों से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के राजस्व में भारी इजाफा हुआ है जिसके बाद आईपीएल टूर्नामेंट में खेलने वाली टीमों का मूल्यांकन भी चढ़ गया है। मूल्यांकन बढ़ने के बाद टीम मालिक अपनी-अपनी टीम में हिस्सेदारी बेचकर रकम जुटाने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज, यूनाइटेड स्पिरिट्स, सन टीवी, इंडिया सीमेंट्स जैसी सूचीबद्ध कंपनियों की टीमें आईपीएल में खेल रही हैं। बैंकरों का कहना है कि टीम मालिकों और विश्लेषकों को लगता है कि टीमों का शुद्ध मुनाफा मौजूदा 100 से 125 करोड़ रुपये से बढ़कर 270-300 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
टीम मालिकों का कहना है कि अगले वर्ष मई में शुरू होने वाले सत्र से पहले वे अपनी टीमों को सूचीबद्ध कराने या निजी निवेशकों से रकम जुटाने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। एक टीम के प्रबंधन से जुड़े शीर्ष अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘मीडिया अधिकारों से राजस्व बढ़ने से हमारा राजस्व एक वर्ष पहले 200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये हो जाएगा। इससे टीमों का मूल्यांकन भी उसी अनुपात में बढ़ेगा जिसके बाद कई कंपनियां अपने नियंत्रण वाली टीमों में हिस्सेदारी बेच सकती हैं।’ अधिकारी ने कहा कि कई प्राइवेट इक्विटी कंपनियां और भारतीय अरबपति आईपीएल टीमों में निवेश करना चाह रहे हैं।
विश्लेषकों ने कहा कि आरसीबी, एसआरएच और सीएसके जैसी टीमों का मूल्यांकन बढ़कर 7,500 करोड़ रुपये से 9,000 करोड़ रुपये के बीच रह सकता है। कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आईपीएल के मीडिया अधिकार 48,000 करोड रुपये में बिके हैं। अगर केंद्रीय प्रायोजन अधिकारों से आए 6,500 करोड़ रुपये भी जोड़ दिए जाएं तो प्रत्येक टीम को सालाना राजस्व के रूप में करीब 550 करोड़ रुपये तक मिलेंगे जो पहले 200 से 225 करोड़ रुपये हुआ करता था।
आईपीएल की एक टीम का राजस्व बढ़कर सालाना 625 करोड़ से 700 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इनमें स्थानीय प्रायोजन अधिकार और गेट फीस भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मान लें प्रत्येक खिलाड़ी की फीस में 33 प्रतिशत इजाफा होता है और फ्रैंचाइजी फीस में कोई बदलाव नहीं होता है तो आईपीएल की एक टीम का शुद्ध मुनाफा सालाना 110 करोड़ रुपये से बढ़कर 270 से 300 करोड़ रुपये के बीच रह सकता है।
विश्लेषकों ने कहा कि सन टीवी जैसी कंपनियों का सालाना मुनाफा वित्त वर्ष 2033 के 73 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2024 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष तक बढ़कर 300 करोड़ रुपये हो जाएगा। इलारा कैपिटल के एक विश्लेषक ने टीमों के मूल्यांकन पर कहा, आईपीएल टूर्नामेंट की जितनी कमाई होगी उसका पूरा हिस्सा कंपनियों को मिल जाएगा क्योंकि सालाना पूंजीगत व्यय या कार्यशील पूंजी जैसे खर्च यहां लागू नहीं होते हैं।
विश्लेषकों ने कहा कि आईपीएल के 15वें संस्करण में अधिकांश पुरानी टीमों को लाभ होगा। विश्लेषकों के अनुसार खर्च की तुलना में केंद्रीय राजस्व में तेजी से इजाफा हुआ है। हालांकि केंद्रीय राजस्व पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए आईपीएल टीमों को अब लंबी राह तय करनी होगी। विश्लेषकों का कहना है कि टीमों का केंद्रीय राजस्व पर कोई नियंत्रण नहीं होता है इसलिए उनके लिए स्थानीय स्तर पर राजस्व में इजाफा करना अहम हो जाता है।
