देश के इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर क्षेत्र को 2025 तक 400 अरब डॉलर तक बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने भारत को एक मुख्य तौर पर एक वैश्विक मोबाइल उपकरण विनिर्माण केंद्र के तौर पर स्थापित करने की योजना बनाई है। लेकिन इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कंप्यूटर हार्डवेयर जैसे अन्य क्षेत्रों में भी उत्पादन एवं निर्यात बढ़ाने की आवश्यकता है।
हालांकि गैर-मोबाइल उपकरण इलेक्ट्रॉनिक्स काफी हद तक आयात पर निर्भर है और इसके लिए विदेशी मुद्रा खर्च बढ़कर 37 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। निर्यात के कमजोर आंकड़ों से यह समस्या कहीं अधिक बढ़ जाती है। मोबाइल उपकरण को इससे अलग रखने पर भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 2018 में महज 4-5 अरब डॉलर रहा। इससे निपटने के लिए सरकार ने त्रिआयामी रणनीति लागू की है: पहला, उन क्षेत्रों में चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) को लागू करना जहां स्थानीय विनिर्माण एवं मूल्यवद्र्धन की आवश्यकता है। दूसरा, आकर्षक प्रोत्साहन के जरिये वैश्विक कंपनियों को संयंत्र स्थापित करने के लिए आकर्षित करना। तीसरा, निर्यात के लिए तैयार क्षेत्रों में उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को लागू करना।
उदाहदरण के लिए, एसी के मामले में पीएमपी के एक मसौदे पर चर्चा चल रही है जिसके तहत पांच वर्षों में उत्पादन मूल्य को 22,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है। भारत सालाना 65 लाख एसी का उत्पादन करता है जबकि इसके मुकाबले चीन सालाना 10 करोड़ एसी का उत्पादन करता है। साथ ही भारत में बने एसी में मूल्यवद्र्धन का स्तर 30 फीसदी से कम है। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड अप्लायंसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) का कहना है कि हमारा उद्देश्य आयात को घटाकर इस आंकड़े में वृद्धि करना है क्योंकि सालाना करीब 15,000 करोड़ रुपये का आयात किया जाता है।
मसौदा योजना के अनुसार, पूरी तरह तैयार एसी पर मौजूदा 20 फीसदी शुल्क को पांचवें वर्ष तक बढ़ाकर 30 फीसदी करने की योजना है। इससे कंपनियां सीबीयू के आयात के बजाय भारत में उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होंगी। इसी प्रकार, देसी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एसी के उपकरणों पर आयात शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव है। उदाहरण के लिए, कम्प्रेशर पर शुल्क को चौथे वर्ष से बढ़ाकर 20 फीसदी करने की योजना है जो फिलहाल 12.5 फीसदी है। गोदरेज ऐंड बॉयस के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं सीईएएमए के अध्यक्ष कमल नंदी ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने स्थानीय मूल्यवद्र्धन बढ़ाने संबंधी अपनी योजनाओं पर उद्योग के हितधारकों के साथ चर्चा की है।’
कुछ लोग पीएमपी योजना में पहले से ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जापान की कंपनी दाइकिन अपनी कुछ विनिर्माण क्षमता को चीन से भारत स्थानांतरित करने की संभावनाएं तलाश रही है। दायकिन इंडिया के प्रबंध निदेशक कंवलजीत जावा ने कहा, ‘यहां हमारा एक आरऐंडडी केंद्र है और हम तीसरी इकाई स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं ताकि स्थानीय क्षमता बढ़ाई जा सके। इसके लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता क्योंकि कई जापानी कंपनियां चीन से अपनी इकाइयों को भारत स्थानांतरित करने की संभावनाएं तलाश रही हैं।’
कई देसी कंपनियां भी इसमें बढ़चढ़ कर भाग ले रही हैं। ब्लू स्टार के एमडी बी त्यागराजन ने कहा, ‘हमारे पास तकनीकी जानकारी उपलब्ध है लेकिन उत्पादन बढ़ाने की एकमात्र प्रमुख चुनौती घरेलू बाजार का छोटा आकार है। इसलिए प्रोत्साहन योजना अथवा आयात प्रतिस्थापन योजना की जरूरत है।’
