भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने आज सफलतापूर्वक 14वां रॉकेट ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) लॉन्च किया है, जिसमें पृथ्वी अवलोकन निरीक्षण उपग्रह और सूक्ष्म शैक्षिक उपग्रह अनुसैट है।
इन दो उपग्रहों को भारतीय रॉकेट ने कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया है, जिसे आज सुबह चेन्नई से 190 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से रवाना किया गया था। रॉकेट को आज सुबह 6.45 मिनट पर लॉन्च किया गया और वह 340 किलोग्राम वजन के साथ 7.2 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से उड़ा।
इस रॉकेट में 300 किलोग्राम का रडार इमेजिंग उपग्रह (आरआईसैट-2) और 40 किलोग्राम का अनुसैट है। अनुसैट को इसरो के मार्गदर्शन में अन्ना यूनिवर्सिटी ने बतौर पहले प्रायोगिक संपर्क उपग्रह के रूप में तैयार किया है।
पोर्ट से उड़ान भरने के 19 मिनट के बाद ही रॉकेट धरती से ऊपर 550 किलोमीटर पर कक्षा में पहुंच गया और दो मिनट बाद ही वहां से 10 किलोमीटर आगे अनुसैट को उसकी कक्षा में प्रक्षेपित किया गया।
इसरो के अध्यक्ष जी माधवन नायर का कहना है कि इस उपग्रह से पृथ्वी अवलोकन के लिए इसरो की क्षमताओं में इजाफा होगा, खासतौर पर बाढ़, तूफान, भूस्खलन और आपदा प्रबंधन के दौरान इससे अधिक सहायता मिल पाएगी।
प्रक्षेपण के बारे में उनका कहना है, ‘यह देश के नाम नए साल के लिए एक बढ़िया तोहफा है और यह राष्ट्रीय संसाधन के लिए एक अच्छी परिसंपत्ति है।’ उनका कहना है कि यह 1994 से अब तक इसरो की ओर से पीएसएलवी के 15 में से 14वां सफल प्रक्षेपण है। 20 सितंबर, 1993 को इसरो का सबसे पहला प्रक्षेपण सफल नहीं रहा था।
सूक्ष्म से सूक्ष्म चीजों की तस्वीर खींचने वाले इस खास रेडार के साथ भारत जापान, यूरोप, कनाडा और जर्मनी जैसे देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है। इसरो की योजना अगले सात साल में दो इंसानों को कक्ष में भेजने की है। इसरो ने इसके लिए सरकारी अनुमति हासिल करने के संदर्भ में 12,400 करोड़ रुपये वाली एक परियोजना रिपोर्ट भी सरकार को भेज दी है।
इस दौरान, वर्ष 2009 इसरो के लिए बढ़िया वर्ष रहेगा, क्योंकि इस साल में कई और लॉन्च अभी बाकीहैं और चंद्रयान-2 वर्ष 2011-2012 में लॉन्च किया जाएगा। माधवन नायर का कहना है कि सरकार ने ‘ह्यूमन स्पेस मिशन’ के लिए 90 करोड़ रुपये की पूर्व परियोजना रिपोर्ट को अपनी स्वीकृति दे दी है।
अब सरकार की अनुमति के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी जमा करा दी गई है। उनका कहना है कि योजना आयोग से पहले ही 12,400 करोड़ रुपये के मिशन को स्वीकृति हासिल हो चुकी है। यह पैसा अंतरिक्षयात्रियों के प्रशिक्षण पर, लॉन्च पेड के निर्माण पर, प्रक्षेपण दल की देख-रेख, मिशन नियंत्रण प्रणाली, प्रौद्योगिकी और हार्डवेयर पर खर्च होगा।
