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CEO जितना कमाने में लगेंगे 500 साल, शीर्ष अधिकारियों की सैलरी मीडियन कर्मचारियों से 2,679 गुना तक अधिक

मीडियन वेतन किसी कंपनी में मिलने वाले सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन का बीच का बिंदु होता है यानी आधे कर्मचारी उससे अधिक वेतन पा रहे होते हैं और आधे उससे कम।

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सचिन मामपट्टा   
Last Updated- January 20, 2025 | 11:25 PM IST

शीर्ष अधिकारियों का बड़ा तबका हर साल इतना कमा रहा है, जितनी कमाई करने में उनकी कंपनी के मीडियन वेतन वाले कर्मचारी को 500 साल लग जाएंगे। ऐसे शीर्ष अधिकारियों वाली कंपनियों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। मीडियन वेतन किसी कंपनी में मिलने वाले सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन का बीच का बिंदु होता है यानी आधे कर्मचारी उससे अधिक वेतन पा रहे होते हैं और आधे उससे कम।

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने प्राइमइन्फोबेस डॉट कॉम से मिले कंपनियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया तो पता चला कि कोविड-19 वै​श्विक महामारी के बाद ऐसी कंपनियों की संख्या काफी बढ़ी है। वित्त वर्ष 2018-19 में कमाई में इतनी असमानता वाली कंपनियां केवल 11 फीसदी थीं मगर 2023-24 में आंकड़ा बढ़कर 16 फीसदी हो गया है। इस विश्लेषण में निफ्टी 200 की उन 110 कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों का वेतन शामिल किया गया है, जिनके वित्त वर्ष 2019 से अब तक के आंकड़े उपलब्ध थे।

शीर्ष अधिकारियों के वेतन की तुलना उनके मीडियन कर्मचारी के वेतन से की गई। कुछ कंपनियों में शीर्ष अ​धिकारी के वेतन तक पहुंचने में मीडियन कर्मचारी को 100 साल से भी ज्यादा लग जाएंगे। ऐसी कंपनियों की हिस्सेदारी अनुपात वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 65 फीसदी हो गई, जो वित्त वर्ष 2019 में 61 फीसदी थी।

शीर्ष अधिकारियों की बात करें तो उनमें से मीडियन अधिकारी का वेतन वित्त वर्ष 2019 के बाद 64 फीसदी बढ़ चुका है और सालाना 7.5 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में सालाना 12.5 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। शीर्ष अधिकारी प्रबंध निदेशक (एमडी), मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) और चेयरपर्सन आदि होते हैं। अगर एक ही व्य​क्ति ऐसे कई पदों पर मौजूद हैं तो सबसे अ​धिक वेतन वाले पद को ही विश्लेषण में शामिल किया गया है।

जब से इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने हर हफ्ते 70 घंटे और लार्सन ऐंड टूब्रो के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे काम करने की बात कही है तब से कामकाज के अधिक घंटों पर बहस शुरू हो गई है। दोनों ने बाद में कहा कि ये बातें राष्ट्र निर्माण के सिलसिले में कही गई थीं।

प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘कोविड के बाद के वर्षों में नेतृत्व वाली प्रतिभा की मांग अधिक और उपलब्धता कम होने से सीईओ अथवा एमडी के वेतन पैकेज में जबरदस्त वृद्धि हुई है।’

परामर्श फर्म इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज इंडिया के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा कि इससे उन अधिकारियों में गहराई तक बैठी एक धारणा का पता चलता है, जिनके पास कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी होती है। उन्हें लगता है कि कंपनी को सफलता उन्हीं के कारण मिली है, टीम की कोशिशों से नहीं।

एक हकीकत यह भी है कि बहुलांश हिस्सेदारी के मालिक (या प्रवर्तक) के पास अपने वेतन पैकेज पर वोट देने का हक होता है और वे ऊंचे पैकेज को मंजूरी दिला देते हैं। टंडन ने कहा कि अल्पपांश शेयरधारकों की आवाज को ज्यादा वजन दिया जाए और वेतन बढ़ाने के प्रस्ताव पर अल्पांश शेयरधारकों का बहुमत जरूरी कर दिया जाए तो यह खामी दूर हो सकती है।

शेयर विकल्प (ईसॉप्स) और सेवानिवृत्ति लाभ जैसे कुछ कारक वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन पर असर डाल सकते हैं। दिलचस्प है कि अलग-अलग उद्योग में शीर्ष अधिकारियों के वेतन में काफी अंतर है मगर उनमें काम करने वालों का मीडियन वेतन काफी हद तक एक ही दायरे में रहता है। पिछले वित्त वर्ष में वित्तीय क्षेत्र में वेतन 241 करेाड़ रुपये सालाना तक पहुंच गया मगर बुनियादी ढांचा डेवलपर एवं ऑपरेटर उद्योग में अधिकतम वेतन महज 51 करोड़ रुपये रहा। विश्लेषण में शामिल उद्योगों में मीडियन कर्मचारी का वेतन 5 लाख रुपये से 13 लाख रुपये तक रहा।

नमूने में शामिल जिन कंपनियों में शीर्ष अधिकारी और मीडियन कर्मचारी के वेतन में सबसे अधिक विषमता दिखी, उनमें पूनावाला फिनकॉर्प भी है। इस कंपनी में शीर्ष अधिकारी का वेतन मीडियन कर्मचारी के वेतन का 2,679 गुना रहा। उसके बाद विप्रो में यह वेतन 1,701 गुना और टेक महिंद्रा में 1,379 गुना रहा। इन तीन कंपनियों तथा इन्फोसिस और लार्सन ऐंड टुब्रो को इस बारे में जानकारी के लिए ईमेल भेजे गए मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

First Published : January 20, 2025 | 11:20 PM IST