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तयशुदा है भारत में 2 से ज्यादा विमानन कंपनियां होना: विल्सन

एयर इंडिया 2027 तक 400 विमानों का बेड़ा तैयार करेगी: विल्सन

Last Updated- November 28, 2024 | 10:40 PM IST
Air India will strengthen its methods to become profitable लाभ में आने के लिए तौर-तरीके मजबूत करेगी एयर इंडिया

निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने आज कहा कि भारतीय विमान बाजार फिलहाल मजबूत है और स्थिरता के दौर से गुजर रहा है और जैसे-जैसे यह लाभप्रद होता जाएगा निश्चित रूप से देश में दो से अधिक प्रमुख विमानन कंपनियां होंगी।

घरेलू यात्री बाजार में इंडिगो और टाटा समूह के स्वामित्व वाले एयर इंडिया समूह की फिलहाल 90 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। 11 नवंबर को विस्तारा के एयर इंडिया में हुए विलय के बाद पहली बार संवाददाता सम्मेलन में पहुंचे विल्सन ने कहा कि एयर इंडिया समूह, जो फिलहाल अपने बेड़े में 300 विमानों का परिचालन करती है साल 2027 तक करीब 400 विमानों तक विस्तार करने की योजना बना रही है।

विल्सन ने यह भी स्पष्ट किया कि साल 2025 में वृद्धि मुख्य तौर पर घरेलू और छोटी दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की होगी क्योंकि विमानन कंपनी अपने चौड़े आकार वाले विमानों को सेवा से बाहर करना शुरू करेगी और अगले साल की पहली छमाही से उन्हें नए पुर्जे जोड़ने के लिए भेजेगी। उन्होंने कहा, ‘तैनाती के लिए मौजूद चौड़े आकार वाले विमानों की संख्या साल 2025 में थोड़ी कम हो जाएगी। साल 2027 तक चौड़े आकार वाले विमानों का बेड़ा पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में देरी होने की वजह से एयर इंडिया के चौड़े आकार वाले विमानों में पुर्जे लगाने की योजना में देरी हो रही है।

विल्सन ने कहा कि अगले महीने से विस्तारा के छोटे आकार वाले विमान और एयर इंडिया के पुर्जे जुड़े हुए छोटे आकार वाले विमानों को महानगर से महानगर वाले मार्गों पर उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के छोटे आकार वाले विमानों में पुर्जे बदलने की प्रक्रिया सितंबर में शुरू हुई थी और यह प्रक्रिया अगले साल के मध्य तक पूरी हो जाएगी।

विल्सन ने बताया, ‘महानगर से महानगर मार्गों पर हमारी बाजार हिस्सेदारी 55 फीसदी है। शीर्ष 120 मार्ग, जहां घरेलू बाजार हिस्सेदारी 60 फीसदी है वहां हमारी हिस्सेदारी 40 फीसदी है।’ भारतीय विमानन बाजार में दो कंपनियों के ही वर्चस्व के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह एक क्षण है, दुनिया के अन्य विमानन बाजार भी इससे गुजर चुके हैं।

उन्होंने समझाया, ‘अगर आप बीते कई दशकों में दुनिया के अन्य हिस्सों को देखेंगे तो वह भी इस दौर से गुजर चुके हैं और वहां भी ऐसी ही स्थिति रही है, जब कई विमानन कंपनियां आ रही थीं और जा रही थी। लाभदायक नहीं होने की वजह से कई कंपनियां बंद हो गईं। फिर वे मजबूती के दौर में पहुंचीं, जिससे वे थोड़ी स्थिर हुईं। उसके बाद वे मुनाफाप्रदता बनीं और फिर कई नई कंपनियां आकर्षित हुईं।’

First Published - November 28, 2024 | 10:40 PM IST

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