भारतीय अधिकारी मिसाइल बनाने में इस्तेमाल होने वाले कलपुर्जों पर आयात कर की चोरी के मामले में अदाणी एंटरप्राइजेज की रक्षा इकाई की जांच कर रहे हैं। दो सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह समूह की नवीनतम नियामक जांच है।
अदाणी डिफेंस सिस्टम्स ऐंड टेक्नॉलजीज अरबपति गौतम अदाणी के कोयले से हवाईअड्डों तक के कारोबार से जुड़े समूह के छोटे कारोबारों में से एक है। वह मुख्यतः भारतीय सुरक्षा बलों के लिए मिसाइल, ड्रोन और छोटे हथियार जैसे रक्षा सामान बनाती है।
भारत के राजस्व खुफिया निदेशालय ने मार्च में अदाणी डिफेंस के खिलाफ जांच शुरू की थी क्योंकि कंपनी ने कुछ मिसाइल कलपुर्जों के आयात में 77 करोड़ रुपये (90 लाख डॉलर) की टैरिफ चोरी की थी। कंपनी ने गलत दावा किया था कि वह सीमा शुल्क और कर से मुक्त है। यह जानकारी दो सरकारी सूत्रों और मामले का विवरण देने वाले एक दस्तावेज से मिली, जिसे रॉयटर्स ने देखा है।
एक बयान में अदाणी समूह ने कहा कि निदेशालय ने सीमा शुल्क नियमों की उनकी व्याख्या के आधार पर उसके आयात पर स्पष्टीकरण मांगा था और स्पष्टीकरण सहायक दस्तावेजों के साथ प्रदान किए गए हैं।
अदाणी के प्रवक्ता ने कहा, यह मामला हमारी ओर से बंद कर दिया गया है। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि कंपनी ने मामले को निपटाने के लिए कोई भुगतान किया है या नहीं।
कर चोरी की कथित राशि 90 लाख डॉलर महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह अदाणी डिफेंस के 2024-25 के 7.6 करोड़ डॉलर के राजस्व की 10 फीसदी से अधिक है और उसके लाभ के आधे से अधिक है।
एक सरकारी सूत्र ने बताया कि जांच के दौरान अदाणी के अधिकारियों ने आयातित पुर्जों के गलत वर्गीकरण की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया। सूत्र के दावे के बारे में रॉयटर्स के सवालों पर अदाणी ने कोई टिप्पणी नहीं की।
आमतौर पर ऐसे मामलों में कंपनियों को कथित कर चोरी की राशि का 100 फीसदी जुर्माना देना पड़ता है, जो इस मामले में कुल 1.8 करोड़ डॉलर होगा। इस जांच की पहले कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है।