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Interview: भारत को क्षेत्रीय MRO केंद्र बनाएंगे, Boeing Defence India के MD ने बताया मेक इन इंडिया का भी पूरा प्लान

'भारतीय हवाई क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र में आपूर्तिकर्ता नेटवर्क को बढ़ावा देने और सशक्त बनाने के लिए बोइंग की प्रतिबद्धता भारत में हमारी आपूर्ति श्रृंखला की रणनीति का आधार है।'

Last Updated- August 05, 2024 | 9:54 PM IST
Committed to making India a regional MRO hub: Boeing Defence India MD Interview: भारत को क्षेत्रीय MRO केंद्र बनाएंगे, Boeing Defence India के MD ने बताया मेक इन इंडिया का भी पूरा प्लान
बोइंग डिफेंस इंडिया के MD निखिल जोशी

वैश्विक विमानन और रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बोइंग की भारत में साल 2009 से इंजीनियरिंग क्षेत्र में मौजूदगी है। उस वक्त इसने प्रमुख सैन्य प्लेटफार्मों के लिए ऑर्डर हासिल किए और खुद को मेक इन इंडिया पहल के साथ जोड़ा। इस परिदृश्य में बोइंग डिफेंस इंडिया के प्रबंध निदेशक निखिल जोशी ने भास्वर कुमार के साथ बातचीत में भारत में सोर्सिंग के माहौल से नजर आई वृद्धि और स्थानीय अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) के लक्ष्यों के बारे में चर्चा की। प्रमुख अंश …

आपका भारतीय आपूर्तिकर्ता आधार कितना बड़ा है?

भारतीय हवाई क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र में आपूर्तिकर्ता नेटवर्क को बढ़ावा देने और सशक्त बनाने के लिए बोइंग की प्रतिबद्धता भारत में हमारी आपूर्ति श्रृंखला की रणनीति का आधार है। भारत से हमारी वार्षिक खरीद एक दशक में 25 करोड़ डॉलर से बढ़कर सालाना 1.25 अरब डॉलर हो चुकी है, जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत का योगदान विनिर्माण के जरिए होता है। साथ ही आज हमारा आपूर्तिकर्ता नेटवर्क दो गुना बढ़कर 300 से ज्यादा हो चुका है, जिससे हम भारत के सबसे बड़े विदेशी मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) निर्यातक बन गए हैं। उल्लेखनीय रूप से इनमें से एक-चौथाई से अधिक साझेदार सूक्ष्म, लघु और मध्य उद्यम (एमएसएमई) हैं, जो हमारी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का अभिन्न अंग हैं।

स्थानीय अनुसंधान एवं विकास के लिए आपके क्या लक्ष्य हैं?

इंजीनियरिंग क्षेत्र में बोइंग की देश में साल 2009 से मौजूदगी है। बोइंग इंडिया इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी सेंटर (बीआईईटीसी) की औपचारिक स्थापना साल 2016 में की गई थी। आज बेंगलूरु और चेन्नई में बीआईईटीसी के 5,500 से ज्यादा इंजीनियर न केवल भारत के विकास में योगदान देते हैं बल्कि बोइंग के रक्षा, अंतरिक्ष और वाणिज्यिक कारोबारों की मदद करते हुए अत्याधुनिक आरऐंडडी, नवाचार और अधिक गुणवत्ता वाले इंजीनियरिंग कार्य करते हुए वैश्विक हवाई क्षेत्र के विकास में भी योगदान देते हैं। बोइंग ने बेंगलूरु में 43 एकड़ वाले नए अत्याधुनिक पूर्ण स्वामित्व वाले इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी परिसर में 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया है जिसका उद्घाटन हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। यह अमेरिका के बाहर बोइंग की अपनी तरह की सबसे बड़ी इकाई है।

वर्तमान में इस केंद्र में बोइंग की इंजीनियरिंग, परीक्षण, अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल एनालिटिक्स टीमें हैं। ये प्रौद्योगिकीविद् अधिक गुणवत्ता वाले, हवाई क्षेत्र के आधुनिक कार्य करते हैं और बोइंग के कारोबारों में इंजीनियरिंग विशेषज्ञता देते हैं। इसमें संरचनाओं और प्रणालियों के इंजीनियरिंग डिजाइन, विनिर्माण मदद, अपने विमानों के परीक्षण के लिए प्रणाली विकसित करना और विमानन क्षेत्र के अपने ग्राहकों को डिजिटल समाधान प्रदान करना शामिल है।

कंपनी मेक इन इंडिया पहल में किस तरह भागीदारी कर रही है?

बोइंग मेक इन इंडिया पहल का गौरवशाली समर्थक है। भारत हमारी दीर्घकालिक रणनीति का केंद्र है। जैसा कि मैंने कहा है – भारत से हमारी खरीद अब सालाना 1.25 अरब डॉलर है। बोइंग कई एमएसएमई समेत सबसे अधिक संख्या में भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ साझेदारी करती है। हमारे पास देश में सबसे व्यापक और सबसे सक्षम इंजीनियरिंग टीमें हैं और हम आगे की वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारत के हवाई क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र में हमारी 80 साल की प्रतिबद्धता हमें आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए विश्वसनीय भागीदार बनाती है। हमने खास तौर पर रक्षा क्षेत्र के लिए भारतीय रक्षा बलों की रख-रखाव की आवश्यकताओं को पूरा करने तथा देश में स्वदेशी और सह-विकास के अवसरों की जबरदस्त क्षमता पर ध्यान देने के लिए भारतीय इकाई बोइंग डिफेंस इंडिया (बीडीआई) की स्थापना की है।

रखरखाव के मोर्चे पर चीजें किस तरह बढ़ रही हैं?

बोइंग डिफेंस इंडिया के एकीकृत लॉजिस्टिक समर्थन तथा पी-81 समुद्री गश्ती और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान, अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और चिनूक सैन्य परिवहन हेलीकॉप्टर जैसे प्लेटफार्मों के लिए दीर्घकालिक प्रदर्शन आधारित लॉजिस्टिक्स (पीबीएल) समाधान हमारे ग्लोबमास्टर इंटीग्रेटेड सपोर्ट प्रोग्राम (जीआईएसपी) के जरिये भारतीय वायु सेना के सी-17 बेड़े को वर्तमान में प्रदान की जाने वाली समान उच्च स्तर की उपलब्धता प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।

बोइंग इंडिया रिपेयर डेवलपमेंट ऐंड सस्टेनमेंट (बर्ड्स) कार्यक्रम के जरिये हमने इस क्षेत्र के लिए एमआरओ हब बनने की भारत की आकांक्षा का समर्थन करते हुए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) इकाइयां स्थापित करने के लिए ग्राहकों और स्थानीय उद्योग के साथ भागीदारी की है। आज बोइंग के पास रक्षा और नागरिक उड्डयन में काम करने वाले देश के सबसे ज्यादा एमआरओ साझेदार हैं। हमने एयर इंडिया के लिए नागपुर में और सी-17 के लिए हिंडन में विश्व स्तरीय एमआरओ इकाइयां बनाई हैं।

First Published - August 5, 2024 | 9:54 PM IST

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