औद्योगिक और मेडिकल गैस बनाने वाली देश की सबसे बड़ी विनिर्माता कंपनी आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स (आईनॉक्सएपी) ने देश भर में 8 नई एयर सेपरेशन इकाइयां स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये निवेश की योजना बनाई है। औद्योगिक गैस क्षेत्र में यह देश की सबसे बड़ी नई निवेश योजना है।
कोविड-19 महामारी के कारण मेडिकल ऑक्सीजन के लिए मांग कई गुना बढऩे के बाद यह घोषणा की गई है, हालांकि कंपनी का कहना है कि वह सरकार की ओर से विनिर्माण और बुनियादी ढांचा पर जोर को देखते हुए यह कदम उठा रही है।
मौजूदा 1,500 टन प्रतिदिन (टीपीडी) लिक्विड गैस क्षमता के साथ आइनॉक्सएपी की लिक्विड गैस उत्पादन क्षमता 2024 तक 4,800 टीपीडी हो जाएगी। इस निवेश के लिए आंतरिक नकदी प्राप्तियों व कर्ज से वित्तपोषण होगा।
आईनॉक्सएपी के निदेशक सिद्धार्थ जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘कर्ज के हिस्से पर अभी काम किया जाना है, लेकिन यह निवेश का 40 प्रतिशत हो सकता है।’
आईनॉक्स एपी के नए संयंत्र आईनॉक्स समूह और अमेरिका की एयर प्रॉडक्ट्स ऐंड केमिकल्स इंक की 50:50 की साझेदारी में होंगे। यह संयंत्र ज्यादा मांग वाले इलाकों के नजदीक गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में स्थापित किए जाएंगे।
इन संयंत्रों से तरल ऑक्सीजन, तरल नाइट्रोजन और तरल आर्गन का उत्पादन होगा, जिन्हें वित्त वर्ष 22 से 24 के बीच चालू किया जाएगा। औद्योगिक और मेडिकल गैस की भारी उपलब्धता से इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण, दवा क्षेत्र में आपूर्ति की कमी पूरी हो सकेगी और इससे लौह, स्टील और ऑटोमोबाइल उद्योग को उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इन परियोजनाओं से संबंधित क्षेत्रों में 1,000 से ज्यादा प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे।
जैन ने कहा कि इन 8 संयंत्रों की स्थापना अगले 12 से 36 महीनों के दौरान सिलसिलेवार होगी।
केंद्रीय बजट में तार्किक रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र को बढ़ावा दिए जाने की प्रशंसा करते हुए कंपनी ने कहा कि आईनॉक्स एपी की विस्तार योजना से तरल मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता 50 प्रतिशत बढ़ जाएगी। कोविड-19 के दौरान आईनॉक्सएपी ने देश में ऑक्सीजन की कुल मांग के 60 प्रतिशत से ज्यादा आपूर्ति की है। जैन ने कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन की मांग सितंबर 2020 में कोविड के पहले के स्तर का 4 गुना हो गई थी, लेकिन फरवरी 2021 में दोगुना गिर गई। वहीं औद्योगिक गैस की मांग कोविड के पहले के स्तर पर आ गई है, जो अप्रैल में सामान्य मांग से 10-15 प्रतिशत नीचे रही थी।