कारोबार में कमजोरी और ग्राहकों द्वारा ठेकों पर फैसला लेने में देर किए जाने के कारण वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में सूचना-प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र की कंपनी इन्फोसिस का प्रदर्शन कमजोर रहा। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 के लिए राजस्व अनुमान भी घटाकर 4 से 7 प्रतिशत के दायरे में रखा, जो बाजार के अनुमान से कम रहा। वित्त वर्ष 2023 में कंपनी ने जितनी कारोबारी वृद्ध हासिल की थी, उसकी तुलना में ये अनुमान काफी कम रहे।
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी का समेकित शुद्ध मुनाफा साल भर पहले के मुकाबले 7.8 प्रतिशत बढ़कर 6,128 करोड़ रुपये हो गया। एक साल पहले समान अवधि में कंपनी ने 5,686 करोड़ रुपये शुद्ध मुनाफा अर्जित किया था। कंपनी ने आज बताया कि तीसरी तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में उसका शुद्ध मुनाफा 6.9 प्रतिशत कम रहा।
कंपनी का राजस्व जनवरी-मार्च तिमाही में 16 प्रतिशत बढ़कर 37,441 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में कंपनी का परिचालन से प्राप्त राजस्व 32,276 करोड़ रुपये रहा था। वित्तीय सेवाओं और संचार कारोबार से प्राप्त राजस्व में पिछले साल की तुलना में 1.7 प्रतिशत और 2.1 प्रतिशत की कमी आई। कुल राजस्व वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही से 2.3 प्रतिशत कम होकर 33,318 करोड़ रुपये रह गया।
इन्फोसिस राजस्व वृद्धि और शुद्ध मुनाफे के ब्लूमबर्ग के अनुमान को नहीं छू पाया। ब्लूमबर्ग ने कंपनी का राजस्व 38,796 करोड़ रुपये और शुद्ध आय 6,612 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था।
पूरे वित्त वर्ष में इन्फोसिस का राजस्व 20.7 प्रतिशत बढ़कर 1,46,767 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का शुद्ध मुनाफा 9 प्रतिशत बढ़कर 24,095 करोड़ रुपये रहा।
वित्त वर्ष के लिए कंपनी के निदेशक मंडल ने 17.50 रुपये प्रति शेयर लाभांश देने की सिफारिश की है। कंपनी ने प्रति शेयर 16.50 रुपये अंतरिम लाभांश पहले ही दे दिया है। इस तरह वित्त वर्ष 2023 के लिए कुल लाभांश बढ़कर 34 रुपये प्रति शेयर हो गया है।
मार्च तिमाही में कंपनी का परिचालन मार्जिन तिमाही एवं सालाना आधार पर 50 आधार अंक कम होकर 21 प्रतिशत रह गया। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 के लिए मार्जिन 20 से 22 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। बाजार ने यह आंकड़ा 21 से 23 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया है।
मार्च तिमाही में प्रदर्शन पर इन्फोसिस के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) एवं प्रबंध निदेशक (MD) सलिल पारेख ने कहा, ‘चौथी तिमाही में बाजार में कारोबारी हालात काफी बदले दिखे। इस अवधि में कुछ ग्राहकों ने पहले से तय ऑर्डर में कमी की और फैसला लेने में देर की, जिसकी वजह से कारोबार कमजोर रहा। इसके अलावा हमारे राजस्व को भी झटका लगा था। मार्च तिमाही में कारोबार कुछ हद तक स्थिर होता जरूर दिखा मगर कारोबारी हालात आने वाले समय में कैसे रहेंगे यह पक्के तौर पर नहीं बताया जा सकता।’