एफएमसीजी: सुधार पर महंगाई की चिंता

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 2:13 AM IST

वित्त वर्ष 2021 की दिसंबर तिमाही में रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों के लिए सुधार के बेहतर संकेत दिख रहे हैं। मैरिको, गोदरेज कंज्यूमर (जीसीपीएल) और टाइटन की आभूषण इकाई तनिष्क ने इसी सप्ताह कहा है कि त्योहारी सीजन में दमदार मांग के कारण उन्हें दो अंकों में वृद्धि हासिल होने की उम्मीद है।
इन कंपनियों ने अपने तिमाही वित्तीय नतीजे जारी करते हुए यह बात कही। लेकिन विश्लेषकों ने चेताया है कि जिंस कीमतों में तेजी के कारण सुधार की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है। जिंस कीमतों में लगातार तेजी का रुझान बना हुआ है। उदाहरण के लिए, पिछले चार महीनों के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में करीब 25 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। बीएस रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आने से लीनियर एल्काइल बेंजीन (एलएबी) और उच्च-घनत्व पॉलिइथिलीन (एचडीपीई) जैसे डेरिवेटिव की कीमतें प्रभावित होती हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक जी चोक्कालिंगम ने कहा कि इन कच्चे माल के दामों में इजाफे से कंपनियों के मार्जिन को नुकसान पहुंचेगा जिससे उन पर उत्पाद के दामों में बढ़ोतरी करने का दबाव बनेगा।
साबुन विनिर्माण में काम आने वाले पाम तेल के दामों में सितंबर से 27 फीसदी की उछाल आ चुकी है, जबकि नारियल तेल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कच्चे माल खोपरा के दामों में 31 फीसदी का इजाफा हुआ है।
कंपनिया स्वीकार करती हैं कि दाम वृद्धि होने वाली है। डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा कि मार्च तिमाही (चौथी तिमाही) में दाम बढ़ोतरी होगी, क्योंकि कंपनियां कच्चे माल की लागत का दबाव वहन करने में समर्थ नहीं होंगी, जैसा कि उन्होंने तीसरी तिमाही के दौरान किया था। लेकिन मुझे यह दाम बढ़ोतरी वाजिब रहने की उम्मीद है जिससे उपभोक्ता धारणा पर ज्यादा असर न पड़े।
मैरिको के चेयरमैन हर्ष मरीवाला का कहना है कि काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आपके उत्पादों का पोर्टफोलियो क्या है और महंगाई कहां से आ रही है। अगर मूल्य वृद्धि किसी नियंत्रित ढंग से की जाती है, तो इसका गंभीर असर नहीं होगा। उपभोक्ता इस दाम वृद्धि को पचाने में सक्षम होंगे।
टाइटन के आभूषण अनुभाग के मुख्य कार्याधिकारी अजय चावला ने कहा कि हम जिन उपभोक्ताओं को लक्ष्य बना रहे हैं, उन पर आर्थिक रूप से दबाव नहीं है। अलबत्ता वे संपूर्ण धारणा से प्रभावित होते हैं। चूंकि पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में इजाफा हुआ है, इसलिए शायद उपभोक्ता इसी अनुपात में अपने बजट में इजाफा न कर पाएं। इसलिए हमें अपने उत्पादों के वजन में 20 से 30 फीसदी तक की कमी लाने की जरूरत होगी।

First Published : January 7, 2021 | 11:45 PM IST