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‘संक्रमण बढ़ेगा, भ्रामक बातों से बचना जरूरी’

Last Updated- December 15, 2022 | 7:52 AM IST

बीएस बातचीत
बजाज ऑटो के वालुज संयंत्र में कोविड-19 संक्रमण के मामले और तीन कर्मचारियों की मौत के बाद कंपनी के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने शैली सेठ मोहिले से कहा कि लॉक डाउन हटने पर बजाज ही नहीं हर जगह से संक्रमण के मामले आना तय है। प्रमुख अंश:

बजाज ऑटो के औरंगाबाद संयंत्र में संक्रमण के कई मामले दिखे हैं। फिर भी आप कह रहे हैं कि आंकड़ा ज्यादा नहीं है?
हमारे संयंत्र में 140 मामले दिखे हैं, लेकिन मेरी नजर में ये इसलिए अधिक नहीं हैं क्योंकि किसी भी बड़े संगठन में 5 प्रतिशत लोग तो शायद पहले ही संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। यह अलग बात है कि उनमें लक्षण नहीं दिख रहे हैं, इसीलिए उनकी जांच भी नहीं हो रही है। वायरस के साथ जीना है तो हमें यह बात जेहन में बिठानी होगी। कारखाना कहीं भी हो, उसमें 5-10 प्रतिशत संक्रमण होना ही है। महामारी विशेषज्ञ तो यह भी कह रहे हैं कि 60-70 लोग संक्रमण के शिकार होंगे और एक साथ इतने लोगों में इम्यूनिटी विकसित होने पर ही वायरस रुकेगा।

खबर है कि कंपनी के दो कर्मचारी पहले से बीमार थे। क्या दिशानिर्देशों का पालन करने में कोई चूक हुई?
नहीं, कोई चूक नहीं हुई। एक कर्मचारी को उच्च रक्तचाप की मामूली शिकायत थी और दूसरा मधुमेह का मरीज था। असल बात यह है कि आपकी प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होनी चाहिए। भारत में 30 प्रतिशत लोग मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीडि़त हैं। तो क्या उन्हें हमेशा के लिए घर में बिठा देंगे? वे लोग 53 साल के थे और उनकी सेहत एकदम ठीक थी।
लॉकडाउन के मुखर विरोध की वजह से आप लोगों के निशाने पर रहे हैं। इन बातों का आप पर असर होता है?
मैं सोशल मीडिया पर नहीं हूं, इसलिए मुझे कुछ नहीं पता! मुझे लॉकडाउन से नहीं, इसके बारे में कही जा रही झूठी और भ्रामक बातों से दिक्कत है। भारत में लॉकडाउन खुलने के बाद संक्रमण और मौत के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि दूसरे एशियाई देशों में ऐसा नहीं हो रहा है। करीब एक सप्ताह पहले तक जापान में कोविड-19 से 1,000  से भी कम मौतें हुई थीं। थाईलैंड में यह आंकड़ा 100 से थोड़ा कम ही था और घनी आबादी वाले शहर होने पर भी वियतनाम में कोई मौत नहीं हुई। इसलिए जो हमने किया है, आगे के लिए वह सही रास्ता नहीं है।

क्या जिला प्रशासन कारखाना बंद करने का दबाव डाल रहा है?
नहीं, ऐसा नहीं है। उनका रवैया सहयोगात्मक रहा है। जिलाधिकारी तो यह तक कह चुके हैं कि बजाज ऑटो ने सभी नियमों का पालन किया। बजाज ही नहीं, दूसरी कंपनियों में भी संक्रमण के मामले दिख रहे हैं।

आपको लगता है कि लॉकडाउन सही फैसला था?
जो हो चुका, उस पर रोने की कोई तुक नहीं। मेरा केवल यह कहना है कि पिछली गलती बार-बार न दोहराई जाए। पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों ने लॉकडाउन दोबारा लागू कर दिया है या इसकी समय सीमा बढ़ा दी है। आखिर इससे क्या हासिल होगा? स्वीडन के मुख्य वैज्ञानिक जोहान जीसेक ने कहा कि लॉकडाउन करें तो आपको यह पता होना चाहिए कि अनलॉक क्यों किया जाएगा। इस महामारी की दिक्कत यह है कि जिनमें लक्षण नहीं हैं, वे अनलॉक होते ही संक्रमण फैलाने लगेंगे।

लेकिन लॉकडाउन नहीं लगाया जाता तो संक्रमित लोगों की संख्या अधिक नहीं होती?
मैं नहीं मानता। पुणे के कुछ हिस्सों में लोग पिछले तीन महीनों से घरों में बंद हैं। मान लेते हैं कि संक्रमण से बचने के लिए ऐसा करना पड़ा मगर उन्हें घर से निकलने कब दिया जाएगा? या तो टीका आने के बाद ही उन्हें निकलने दिया जाएगा। तब उनसे कह दीजिए कि साल भर घर में ही रहो। हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन से मुझे यही दिक्कत है। अब अनलॉक की बात करें। तीन महीनों की बंदी में लोग आर्थिक रूप से बरबाद हो गए। तीन महीने और बंद रहेंगे तो भावनात्मक रूप से भी खत्म हो जाएंगे। लॉकडाउन खुलने पर भी कुछ नहीं बदलेगा क्योंकि उन्हें घनी आबादी में ही रहना है। मैं यह नहीं कह रहा कि लॉकडाउन की वजह से लोग संक्रमित हो रहे हैं। मेरा कहना है कि जो होना है, वह होगा। संक्रमण की दर सपाट नहीं हुई, कुछ समय के लिए ठहर गई थी।

क्या कर्मचारी कारखाने में आने को तैयार नहीं हैं?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। हम बिल्कुल सही बात बताते रहे हैं। कर्मचारी खुश हैं कि हमने किसी को नहीं निकाला और यूनियन के खुद कहने पर भी वेतन नहीं काटा। उन्हें पता है कि हमने पूरा एहतियात बरता है और उन्हें तथा उनके परिवार को मुफ्त दवाएं भी दी हैं। कर्मचारियों को पता है कि लॉकडाउन खुलने के साथ ही पूरे भारत में मामले बढ़ रहे हैं। 24 अप्रैल से 5 जून तक हमारे औरंगाबाद कारखाने में एक भी संक्रमण नहीं था। उन्हें पता है कि लॉकडाउन खुलने और शहर में घूमने पर संक्रमण होना ही है और उसका टीका भी नहीं है। हमने उन्हें बता दिया है कि वे चाहें तो एक-दो साल घर बैठकर टीके का इंतजार कर सकते हैं। मगर हम तब तक उन्हें वेतन नहीं दे पाएंगे। कोई भी कंपनी ऐसा नहीं कर पाएगी। वे भी इस बात को समझते हैं और हमारे साथ हैं।

First Published - June 28, 2020 | 11:21 PM IST

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