अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के महानिदेशक गिलबर्ट एफ. होंगबो ने सोमवार को कहा कि भारत में सामाजिक सुरक्षा के कम से कम एक दायरे में आने वाली आबादी का हिस्सा 24 से बढ़कर 49 फीसदी हो गया है। यह बेहद कम अवधि में दोगुना हो गया है।
उन्होंने सामाजिक न्याय के वैश्विक गठजोड़ और आईएलओ के द्वारा आयोजित सामाजिक न्याय के प्रथम ‘क्षेत्रीय संवाद’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह महत्त्वपूर्ण उपलब्धि भारत और आईएलओ के बीच मजबूत साझेदारी को प्रदर्शित करती है। मोदी सरकार की महत्त्वपूर्ण कार्रवाइयों से बीते वर्षों में सामाजिक सुरक्षा के दायरे का विस्तार हुआ है।’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री – इम्प्लॉयर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीआईआई-ईएफआई) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में जवाबदेह कारोबार पर संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। इस वक्तव्य में कारोबार को अनुपालन से आगे बढ़कर सामाजिक उत्तरदायित्व को अपने मुख्य परिचालनों और मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने संयु्क्त वक्तव्य का हवाला देकर कहा, ‘कर्मचारियों की सेहत, उचित पारिश्रमिक और कार्यस्थल पर उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देकर कारोबार कहीं अधिक योगदान दे सकता हैं और मजबूत समाज का निर्माण कर सकते हैं।’उन्होंने बताया कि 29 श्रम कानूनों को मिलाकर चार आसान श्रम संहिता बनाई गई हैं। इससे श्रम कल्याण, सार्वभौमिक पगार, सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षित कार्य की दशाओं को प्रोत्साहित किया गया है।
इस अवसर पर 30 करोड़ से अधिक पंजीकृत असंगठित श्रमिकों के ई-श्रम पोर्टल का मोबाइल एप्लीकेशन वर्जन भी लॉन्च किया गया। यह पूरे देश में श्रमिकों के लिए पहुंच और सहजता बढ़ाने की पहल है। आईएलओ का सामाजिक न्याय के लिए वैश्विक गठजोड़ महत्त्वपूर्ण है। यह सामाजिक सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए नीति और कार्रवाई को वैश्विक, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर एकसाथ लाने की पहल है। इसकी शुरुआत नवंबर 2023 में हुई थी। इस अल्पावधि में ही 336 साझेदार शामिल हो चुके हैं।