देश के सहकारी चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति सुधारने और एथनॉल की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई योजना की अधिसूचना जारी की है। इस योजना के तहत मौजूदा गन्ना आधारित एथनॉल डिस्टिलरी को ड्यूल फीड में तब्दील करने के लिए सब्सिडी वाले ऋण दिए जाएंगे।
योजना की अधिसूचना आज जारी की गई है और उम्मीद है कि इससे सीधे तौर पर देश के 63 सहकारी चीनी मिलों को फायदा होगा, जिनके साथ डिस्टिलरी जुड़ी हुई है। इससे एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि सहकारी चीनी मिलों को सिर्फ शीरा से नहीं बल्कि अनाज तथा मकई से एथनॉल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। अब तक सिंगल फीड डिस्टिलरी को मल्टी फीड में तब्दील करने के लिए ब्याज अनुदान योजना का लाभ सिर्फ निजी चीनी कंपनियों को ही मिलता था।
सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से ब्याज वाली अनुदान योजना के बाद डिस्टिलिशन क्षमता वाली देशकी सहकारी चीनी मिलें बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए गए परियोजना ऋणों पर 50 फीसदी ब्याज अनुदान अथवा 6 फीसदी अनुदान (जो भी कम हो) के लिए पात्र होती हैं। यह सुविधा पांच साल के लिए ही मिलती है और इसमें एक वर्ष की मॉरेटोरियम अवधि भी शामिल है।
नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, ‘अधिकतर सहकारी चीनी मिलें एनसीडीसी के जरिये ऋण लेती हैं और उस ऋण पर करीब 8.5 फीसदी की दर से ब्याज लगता है, लेकिन सब्सिडी योजना के लागू होने के बाद ब्याज की दर 4.25 फीसदी के करीब हो जाएगी।’ उन्होंने कहा कि 200 करोड़ रुपये के ऋण के लिए 4.25 फीसदी का ब्याज बेहतरीन है।
नाइकनवरे ने कहा, ‘अधिकतर चीनी मिलों को अपने शीरा आधारित संयंत्र को ड्यूल फीड वाले संयंत्र में तब्दील करने में करीब 50 से 60 करोड़ रुपये की जरूरत होती है और इस आकर्षक ब्याज दर के साथ निवेश आसान हो जाएगा।’ उन्होंने कहा कि सरकार की इस कवायद से सहकारी चीनी मिलों से जुड़ी डिस्टिलरी की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा क्योंकि वे अब अतिरिक्त 2-3 महीने तक चल सकते हैं क्योंकि गन्ना आधारित शीरे की आपूर्ति की समयावधि केवल 4 से 5 महीने ही होती है।