वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को स्टील उद्योग के घरेलू कारोबारियों के हितों की रक्षा करने के लिए सीमा समायोजन कर(बीएटी) पेश किए जाने और उद्योग के शीर्ष लोगों के साथ इस पर चर्चा करने का सुझाव दिया है। यह विचार महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि बाजार खराब करने वाली कीमतों के कारण यह उद्योग आयात से संरक्षण दिए जाने की मांग कर रहा है।
स्टील कॉन्क्लेव में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘सीमा समायोजन कर, डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) की तरह की ही एक प्रणाली है, जिसे यदि सभी उद्योग सीआईआई, फिक्की, एसोचैम अपना लें, तो हम इस पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे और इसे देश में भी लागू कर सकेंगे।’
इससे पहले भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के अध्यक्ष नवीन जिंदल ने मुक्त व्यापार करार (एफटीए) वाले देशों से बाजार बिगाड़ने वाली कीमत पर आयात से इस्पात उद्योग को समर्थन और संरक्षण की बात उठाई। इसके बाद मंत्री ने यह बयान दिया।
बीएटी के पीछे विचार यह है कि भारत के स्टील उत्पादक बिजली शुल्क, लौह अयस्क शुल्क, कोयला उपकर जैसे कई कर चुकाते हैं और आयातित स्टील सस्ता पड़ता है। हालांकि ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि बीएटी बेहतर समाधान नहीं है। उनका कहना है कि इस शुल्क से आयात की कीमत महज 2 से 3 प्रतिशत बढ़ेगी, जो संभवतः पर्याप्त नहीं है।