भारतीय दवा उद्योग की आय का प्रदर्शन नरम रहने वाला है। इसकी मुख्य वजह कैंसर की शानदार दवा के जेनेरिक वर्जन- रेवलिमिड- की घटती बिक्री के साथ-साथ घरेलू फॉमूलेशन की बिक्री में धीमी बढ़ोतरी है। विश्लेषकों का अनुमान है कि पिछले साल के मुकाबले राजस्व की वृद्धि दर 9 प्रतिशत और करोपरांत लाभ (पीएटी) की दर 3 से 4 प्रतिशत के दायरे में रहेगी।
अमेरिकी जेनेरिक बाजार में मूल्य निर्धारण का स्थिर परिदृश्य और रुपये में गिरावट से दो अंकों में राजस्व वृद्धि की उम्मीद है। नुवामा के विश्लेषकों ने कहा कि जेनेरिक रेवलिमिड की कीमतों में गिरावट के कारण अमेरिका में बिक्री में सालाना आधार पर एक प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी हो सकती है।
ल्यूपिन जैसी कुछ कंपनियां जेनेरिक स्पिरिवा (सांस की दवा) और टोल्वैप्टन (गुर्दे की खराबी की दवा) जैसी औषधियों की सतत बाजार हिस्सेदारी के कारण अमेरिका में बढ़ोतरी देखेंगी। नुवामा के विश्लेषण में शामिल दवा कंपनियों का कुल मार्जिन लगभग 26 प्रतिशत (सालाना आधार पर 32 आधार अंक की गिरावट) रहने का अनुमान है जो जेनेरिक रेवलिमिड की कीमतों में गिरावट के कारण कम हुआ है। इस प्रमुख दवा की कीमतों में जारी गिरावट से वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में अरबिंदो, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल), सिप्ला और जाइडस लाइफसाइंसेज की अमेरिका में बिक्री प्रभावित होने की आशंका है।
फिलिप कैपिटल ने बताया कि डॉ रेड्डीज 18 करोड़ डॉलर के साथ रेवलिमिड की बिक्री में अग्रणी रहेगी। उसके बाद सिप्ला (8 करोड़ डॉलर) और जाइडस (7 करोड़ डॉलर) का स्थान रहेगा। नुवामा के विश्लेषकों ने कहा, ‘हमें अमेरिकी बिक्री में सालाना आधार पर 1 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन जेनेरिक मायरबेट्रिक के बढ़ते योगदान के कारण जाइडस सालाना आधार पर 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकती है जो जेनेरिक रेवलिमिड की कीमतों में गिरावट की आंशिक भरपाई कर सकती है। टोल्वैप्टन की हालिया शुरुआत और जेनेरिक स्पिरिवा में स्थिर बाजार हिस्सेदारी के कारण ल्यूपिन का अमेरिकी कारोबार सालाना आधार पर 17 प्रतिशत बढ़कर 26.5 करोड़ डॉलर होने की संभावना है।’