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प्लास्टिक कचरे पर नियामक सख्त

सीपीसीबी ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई का दिया आदेश

Last Updated- October 28, 2024 | 9:44 PM IST
CPCB

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम (पीडब्लूएम), 2016 के बढ़ते उल्लंघन के मामलों को देखते हुए राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) और प्रदूषण नियंत्रण समितियों से दोषियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।

इन उल्लंघनों में निर्धारित न्यूनतम मोटाई से कम की प्लास्टिक थैलियों का इस्तेमाल और प्रतिबंधित एकल इस्तेमाल प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग शामिल हैं। इन उल्लंघनों ने राष्ट्रीय प्लास्टिक कचरा विनियमन के पालन को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।

प्लास्टिक के अनिधिकृत उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए सीपीसीबी ने निगरानी बढ़ाने का आह्वान किया है। बोर्ड ने इस बारे में एक रिमाइंडर भी जारी किया है कि नियामक उल्लंघनों से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी निविदा दस्तावेजों को पीडब्लूएम विनिर्देशों के अनुरूप होना चाहिए।

राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सार्वजनिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है। एसपीसीबी से यह भी कहा गया है कि वे स्थानीय प्राधिकरणों से समन्वय कर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये विनिर्माताओं और निजी इकाइयों में जागरूकता फैलाने के लिए नए दिशानिर्देशों का प्रसार करें।

सख्त लेबलिंग और प्रमाणीकरण मानदंडों के अलावा नए सिरे से निगरानी और अनुपालन पर ध्यान केंद्रित कर पीडब्ल्यूएम विनियमन की प्रभावशीलता को बेहतर किया गया है। दरअसल, पीडब्ल्यूएम विनियमन देश भर में प्लास्टिक कचरा प्रदूषण को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्लास्टिक पैकेजिंग को संरचना और इस्तेमाल के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा गया है। श्रेणी 1 में कठोर प्लास्टिक पैकेजिंग शामिल है। श्रेणी 2 में एकल या बहुस्तरीय पैकेजिंग वाली लचीली प्लास्टिक पैकेजिंग है जिसमें विभिन्न तरह की प्लास्टिक शामिल होती हैं। श्रेणी 3 में बहुस्तरीय प्लास्टिक पैकेजिंग है जिसमें एक कम से कम प्लास्टिक परत और दूसरी गैर प्लास्टिक सामग्री की परत होती है। अंतिम श्रेणी चार में पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक शीट के अलावा क्षरण होने वाले प्लास्टिक से बनी थैलियां शामिल हैं।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के कार्यान्वयन पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सालाना रिपोर्ट के अनुसार भारत में बीते पांच वर्षों के दौरान प्लास्टिक कचरा उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। वर्ष 2016-17 में प्लास्टिक कचरा 15,68,714 टन प्रति वर्ष (टीपीए) था और यह 2017-18 में गिरकर 6,60,787 टीपीए हो गया। लेकिन इसके बाद प्लास्टिक कचरा बढ़ता गया। यह 2018-19 में बढ़कर 33,60,043 टीपीए, 2019-20 में 34,69,780 टीपीए और फिर 2020-21 में 41,26,997 टीपीए हो गया।

First Published - October 28, 2024 | 9:44 PM IST

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