प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऑरेंज इकॉनमी यानी रचनात्मकता और बौद्धिक संपदा से संबंधित उद्योग खूब फल-फूल रहा है। यह देश के जीडीपी में अपना योगदान और बढ़ा सकता है। पहले वर्ल्ड एंऑडियो विजुअल ऐंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने सामग्री, रचनात्मकता और संस्कृति को ऑरेंज इकॉनमी के तीन प्रमुख स्तंभ करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय फिल्में अब दुनिया के हर कोने में देखी और पसंद की जा रही हैं और 100 से अधिक देशों में रिलीज होती हैं। यही कारण है कि आज बड़ी संख्या में विदेशी दर्शक सबटाइटल के साथ भारतीय फिल्में और अन्य सामग्री देख रहे हैं। देश में ओटीटी (ओवर द टॉप) उद्योग पिछले कुछ वर्षों के दौरान 10 गुना वृद्धि के साथ आगे बढ़ा है। स्क्रीन का आकार जरूर छोटा हो रहा है, लेकिन इसका दायरा बहुत व्यापक हो गया है।’ मोदी ने कहा कि देश में बनने वाली फिल्में, डिजिटल क्षेत्र में बनने वाली तमाम सामग्री, गेमिंग, फैशन और संगीत आदि वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इस समय वैश्विक एनिमेशन बाजार का आकार 430 अरब डॉलर से अधिक है और अगले 10 वर्षों में इसके दोगुना होने का अनुमान है। यह देश के एनिमेशन और ग्राफिक उद्योग के लिए बहुत ही शानदार अवसर है।’
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने सभी निवेशकों से आग्रह किया कि वे भारत में फिल्में और अन्य डिजिटल सामग्री तैयार करें, क्योंकि यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। यही नहीं, वैश्विक फाइनैंशियल टेक्नॉलजी एडाप्टेशन रेट में नंबर एक देश है। विश्व में मोबाइल निर्माण में दूसरा स्थान है। इसके अलावा तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम हमारे यहां है। उन्होंने कहा, ‘यह एक अरब से अधिक आबादी होने के अलावा एक अरब से अधिक कहानियों वाला देश भी है। सामग्री निर्माण में भारत की एक और विशेषता है। अब दुनिया ‘क्रिएट इन इंडिया’ के मंत्र को महसूस करेगी और आप इसका आनंद लेंगे।’
उन्होंने क्रिएटिव जिम्मेदारी के बारे में भी बात की, क्योंकि लोगों के जीवन में प्रौद्योगिकी की भूमिका लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति में मानव इंद्रियों को जीवित रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। यह केवल रचनात्मक दुनिया ही कर सकती है। हमें इंसानों को रोबोट नहीं बनने देना चाहिए। उन्हें और संवेदनशील एवं उन्नत बनाना होगा।’
क्रिएटर्स के लिए देश का पहला संस्थान
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को वेव्स सम्मेलन में भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) के लॉन्च की घोषणा की। उन्होंने बताया कि क्रिएटर्स के लिए मुंबई में बनने वाले देश के पहले संस्थान पर 400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री के अनुमान के अनुसार देश में 40 मिलियन से अधिक क्रिएटर हैं। इस मौके पर दिवंगत फिल्म निर्माता गुरु दत्त, संगीतकार स्व. सलिल चौधरी व अन्य के लिए स्मारक डाक टिकट जारी किए गए।
यूट्यूब ने 21,000 करोड़ रुपये दिए
यूट्यूब ने पिछले तीन वर्षों के दौरान भारतीय क्रिएटर्स, कलाकारों और मीडिया कंपनियों को 21,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नील मोहन ने भारत को मनोरंजन का पावरहाउस करार दिया और क्रिएटर इकॉनमी के विकास को गति देने के लिए अगले दो साल में यहां 850 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया। मुंबई में चल रही वेव्स में मोहन ने कहा, ‘क्रिएटर को दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद दर्शक वर्ग से जोड़ने की क्षमता ने यूट्यूब को सांस्कृतिक सामग्री के प्रसार का शक्तिशाली स्रोत बना दिया है। भारत समेत कुछ ही देश ऐसे हैं, जिन्होंने इसका लाभ उठाया है।’
उन्होंने कहा कि भारत ‘क्रिएटर नेशन’ के रूप में पहचान बना रहा है, जहां पिछले एक वर्ष में 10 करोड़ से अधिक चैनलों ने कंटेंट अपलोड किया। इनमें से 15,000 से अधिक ने 10 लाख सब्सक्राइबर संख्या को पार कर लिया। उन्होंने कहा, ‘आज यह देश केवल फिल्म और संगीत के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बन कर नहीं उभर रहा है, बल्कि मैं इसे ‘क्रिएटर नेशन’ कहते हुए काफी उत्साहित हूं।’
‘केबल टीवी उद्योग के नियमन की समीक्षा’
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) केबल टेलीविजन उद्योग (यह केबल टीवी और लीनियर टीवी के नाम से भी जाना जाता है) में कारोबार सुगमता के लिए इस क्षेत्र से जुड़े नियमन की आगे समीक्षा करने पर जोर दे रहा है। वेब्स में शिरकत करने पहुंचे ट्राई के अध्यक्ष अनिल लाहोटी ने कहा कि प्रसारण के एक माध्यम और दूसरे माध्यम के बीच एक बड़ी नियामकीय असमानता है और उनका इशारा सामान्य टीवी और ओटीटी मंचों की ओर था।
नियामकीय संस्था ने 2024 में केबल टीवी उद्योग को आवश्यक स्वतंत्रता देने के बावजूद पूरे वैल्यू चेन में उपभोक्ताओं और छोटे खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करने के लिए नियमों की समीक्षा की थी। उन्होंने कहा, ‘हम प्रौद्योगिकी का स्वागत करते हैं और चाहते हैं कि यह बेहतर ऑडियो वीडियो अनुभव प्रदान करे ताकि उपभोक्ता तकनीकी विकास का फायदा ले सके लेकिन हम ऐसा वातावरण नहीं बनाना चाहते हैं जहां नियमन दो माध्यमों के बीच भेदभाव करे और प्रसारण के एक माध्यम को नुकसान में डाल दे।’