उद्योग

रिन्यूएबल एनर्जी का नया युग, ग्रिड और बाजार सुधारों पर फोकस

भारत का अक्षय ऊर्जा क्षेत्र अब विस्तार से हटकर ग्रिड, ऊर्जा भंडारण और बाजार सुधारों पर ध्यान दे रहा है, ताकि 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली लक्ष्य साकार हो सके।

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साकेत कुमार   
Last Updated- October 23, 2025 | 8:04 AM IST

सरकार ने आज कहा कि भारत का अक्षय ऊर्जा क्षेत्र अब समेकन के दौर में पहुंच चुका है। अब तेज क्षमता विस्तार से हटकर यह क्षेत्र ग्रिड एकीकरण, प्रेषण योग्य स्वच्छ बिजली के ढांचे और बाजार सुधारों की ओर बढ़ रहा है।

सरकार ने कहा कि अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर बोलियां लगाने से पहले नवीकरणीय बिजली खरीद बाध्यता को लागू करने और पारेषण लाइनों को दुरुस्त करने वल ग्रिड एकीकरण के लिए तकनीक का उपयोग प्राथमिकता पर है, भले ही आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, मॉड्यूल के दाम में उतार चढ़ाव और धन की कमी जैसी दिक्कतों के कारण इसकी रफ्तार धीमी हो गई है।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत का स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन एक ऐसे चरण में प्रवेश कर रहा है जहां मुख्य चुनौतियां एकीकरण, विश्वसनीयता और पैमाने की दक्षता को लेकर है।  इससे जुड़ी परियोजनाएं विभिन्न स्तर पर हैं, जो परिपक्वता को दिखाती हैं।’

मंत्रालय ने कहा कि अक्षय ऊर्जा की रफ्तार कम नहीं हुई है।  मंत्रालय ने कहा कि एक दशक के रिकॉर्ड विस्तार के बाद अब मजबूत, प्रेषण योग्य और लचीले स्वच्छ ऊर्जा ढांचे पर ध्यान है, जिससे 2030 तक 500 गीगावॉट गैर जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को समर्थन मिल सके। मंत्रालय ने कहा, ‘भारत की अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 5 गुना से अधिक बढ़ गई है, जो 2014 में 35 गीगावॉट से कम थी, जो आज 197 गीगावॉट (बड़े हाइड्रो को छोड़कर) से अधिक है। इस तरह की तेज वृद्धि अनिवार्य रूप से एक ऐसे बिंदु पर पहुंच जाती है जहां अगली छलांग के लिए न केवल अधिक मेगावॉट की जरूरत है, बल्कि अब मजबूत ढांचागत सुधार की जरूरत है।’

मंत्रालय ने कहा कि देश अब ग्रिड एकीकरण, ऊर्जा भंडारण, हाइब्रिड प्रणाली  और बाजार सुधारों पर काम कर रहा है, जो 500 गीगावॉट से अधिक गैर जीवाश्म बिजली उत्पादन के भविष्य की नींव है।

First Published : October 23, 2025 | 8:04 AM IST