कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कंपनियों को आदेश दिया है कि वे सूक्ष्म व लघु उद्यमों (एमएसई) को हुए भुगतान या भुगतान लंबित होने की स्थिति में बकाया राशि की पूरी जानकारी हर छमाही दें। मंत्रालय ने अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है।
नवीनतम अधिसूचना के अनुसार एमएसई से कारोबार करने वाली सभी कंपनियों को अनिवार्य रूप से कॉरपोरेट मंत्रालय के वी3 प्लेटफॉर्म पर एमएसएमई फार्म-1 जमा कराना है। इन कंपनियों को यह फॉर्म भरना ही होगा चाहे एमएसई के मुहैया कराए गए सामानों और सेवाओं के भुगतान की राशि 45 दिन से अधिक बकाया हो या न हो। इससे पहले सिर्फ उन्हीं कंपनियों को खुलासे करने होते थे जो एमएसई को पूरा भुगतान नहीं कर पाई थीं यानी बकाया देय था।
कंपनी मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था, ‘केवल वे निर्दिष्ट कंपनियां, जिनके पास सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 (2006 का 27) की धारा 9 के तहत माल या सेवाओं की स्वीकृति की तारीख या समझी गई स्वीकृति की तारीख से 45 दिनों से अधिक समय के लिए किसी सूक्ष्म या लघु उद्यम को भुगतान लंबित है, वे एमएसएमई फॉर्म-1 में जानकारी प्रस्तुत करेंगी।’
लेकिन नई एमएसएमई-1 फार्म में 45 दिनों में भुगतान राशि, 45 दिनों के बाद भुगतान राशि, 45 दिन या कम की अवधि पर बकाया राशि, 45 दिन से अधिक बकाया राशि और भुगतान/बकाया राशि में देरी के कारण की जानकारी देनी है।
इंडिया एसएमई फोरम के अध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि सरकार ने मौजूदा एमएसएमई-1 फार्म में नए उपबंध जोड़े हैं और वे सरकार के इस कदम से अत्यधिक प्रसन्न हैं। उन्होंने बताया, ‘यह एमएसएमई के लिए ऐतिहासिक क्षण है। एमएसएमई भुगतान में विलंब की गलत प्रवृत्ति को लेकर बीते 15 वर्षों से लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए अब एमएसएमई सरकार का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं कि उनकी लंबे समय से जारी मांग काफी गंभीरता से पूरी की गई है।’
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2023 वित्त वर्ष 2024 का बजट पेश करते हुए आयकर अधिनियम में संशोधन किया था सामान और सेवाएं खरीदने के 45 दिनों के भीतर लघु और सूक्ष्म उद्यमों (एसएमई) को भुगतान सुनिश्चित हो सके। यह संशोधन अप्रैल 2024 से लागू हुआ है। इसका ध्येय एसएमई के बीच कामकाजी पूंजी की कमी के मुद्दे को हल करना है और यह मुद्दा नौकरियों के सृजन व निर्यात में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
बहरहाल, इस संशोधन के मसले पर उद्योग जगत की राय बंटी हुई है। कुछ क्षेत्रों ने 45 दिन के भुगतान चक्र का विरोध किया है। इन क्षेत्रों ने जुलाई में पेश किए जाने वाले वित्त वर्ष 25 के पूर्ण बजट में इस भुगतान चक्र की समीक्षा की मांग की है। ज्यादातर एसएमई ने इस संशोधन का समर्थन किया है। कुछ एसएमई को डर यह है कि इस संशोधन के कारण बड़े कारोबारी अपने ऑर्डर गैरपंजीकृत एसएमई को दे देंगे।
सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम को मशीनरी में निवेश और सालाना टर्नओवर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। किसी सूक्ष्म उद्यम का संयंत्र व मशीनरी में निवेश 1 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए और उसका सालाना टर्नओवर भी 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
लघु उद्यम के मामले में मशीनरी में निवेश की सीमा 10 करोड़ रुपये तक है और उसका टर्नओवर 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह किसी मझौले उद्यम में मशीनरी में निवेश 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होता है और उसका टर्नओवर 250 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।