उद्योग

Green Steel की थोक खरीद के लिए संगठन के प्रस्ताव को Finance Ministry ने खारिज किया

हरित स्टील से तात्पर्य ऐसे स्टील के उत्पादन से होता है जिसमें कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए पर्यावरण अनुकूल तरीकों से स्टील का उत्पादन होता है।

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दीपक पटेल   
श्रेया जय   
Last Updated- December 25, 2024 | 11:43 PM IST

इस्पात मंत्रालय के ग्रीन स्टील (हरित इस्पात) की थोक खरीद के लिए केंद्रीय संगठन स्थापित करने के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकारी परियोजनाओं के लिए ज्यादातर स्टील खरीद सीधे सरकार की जगह ठेकेदारों के जरिये होती है, इसलिए ऐसे संगठन की जरूरत नहीं है। कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी है। इस मामले में बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब इस्पात मंत्रालय ने नहीं दिया।

हरित स्टील से तात्पर्य ऐसे स्टील के उत्पादन से होता है जिसमें कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए पर्यावरण अनुकूल तरीकों से स्टील का उत्पादन होता है। इसमें आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले जीवाश्म ईंधन की जगह नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों जैसे हाइड्रोजन, पवन या सौर ऊर्जा से तैयार बिजली से स्टील का उत्पादन होता है। मंत्रालय ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) जैसी एजेंसी के गठन का सुझाव दिया था। ईईएसएल असल में विद्युत मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के चार संस्थानों का संयुक्त उपक्रम है। ये चार संस्थान हैं- एनटीपीसी, पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आरईसी और पॉवर फाइनैंस कॉरपोरेशन। ईईएसएल ऊर्जा दक्षता उत्पाद जैसे प्रकाश उत्सर्जक डायोड लाइट, पंखे और सौर पंप की थोक खरीद करता है।

इस्पात मंत्रालय ने ‘ ग्रीन स्टील या हरित इस्पात’ की परिभाषा स्पष्ट करने के लिए एक कार्यबल का गठन किया है। इस साल सितंबर में जारी एक रिपोर्ट में इस्पात मंत्रालय ने कहा, ‘ग्रीन स्टील पर प्रीमियम उसकी परिभाषा पर निर्भर करेगा जिस पर कार्यबल में विचार-विमर्श किया जा रहा है और आने वाले समय में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। लिहाजा सरकारी खर्च पर हरित सार्वजनिक खरीद (जीपीपी) का संभावित असर हरित इस्पात पर 10 फीसदी और 15 फीसदी प्रीमियम का संकेत देता है।’

इस्पात मंत्रालय के अनुसार 10 फीसदी प्रीमियम की स्थिति में सालाना बजट प्रभाव वर्ष 2026 के 1,223 करोड़ रुपये से बढ़कर 2030-31 (वित्त वर्ष 31) में 5,820 करोड़ रुपये तक हो सकता है। लिहाजा इस अवधि में कुल परिव्यय 14,954 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इस क्रम में 15 फीसदी प्रीमियम की स्थिति में सालाना बजट प्रभाव वर्ष 2026 में 1,834 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 31 में 8,730 करोड़ रुपये का हो सकता है। इस अवधि में कुल परिव्यय 22,431 करोड़ रुपये हो सकता है।

ईईएसएल की जीपीपी पहल में ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों में लागत कम करने के लिए थोक खरीद की जाती है। भारत में हरित उत्पादों की निजी खरीद शुरुआती चरण में है और स्थापित जलवायु लक्ष्यों वाली कई निजी कंपनियां भविष्य में हरित स्टील को अपनाने में मदद कर सकती हैं।

इस्पात मंत्रालय ने कहा था कि वह इस्पात क्षेत्र के लिए जीपीपी नीति का ढांचा तैयार कर भारत में हरित स्टील की मांग का सृजन करना चाहता है। जिसे वित्त मंत्रालय विकास और कार्रवाई के लिए आगे लेकर जा सकता है। उसने कहा, ‘इस्पात मंत्रालय सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को थोक खरीद की सुविधा मुहैया कराने के लिए ईईएसएल की तर्ज पर एजेंसी की स्थापना कर सकता है।’

अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस्पात मंत्रालय की ऐसी एजेंसी स्थापित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी परियोजनओं के लिए ज्यादातर स्टील की खरीद सीधे ठेकेदारों से की जाती है। लिहाजा ऐसी किसी भी एजेंसी का सृजन ‘अनावश्यक’ है। इस उद्योग के अधिकारियों ने भी कहा कि ऐसी किसी केंद्रीय खरीद एजेंसी का विचार प्रभावी नहीं होगा। इसका कारण यह है कि हरित इस्पात खरीद को स्टील उद्योग से इतर होना चाहिए।

अधिकारी ने बताया, ‘इस्पात मंत्रालय ने आधारभूत ढांचे से जुड़े मंत्रालयों- सड़क, बिजली, रेलवे आदि के लिए हरित स्टील की न्यूनतम खरीद की सीमा के लिए प्रस्ताव भेजा है। इन सभी मंत्रालयों के अपने खरीद के तौर तरीके, नियम और एजेंसियां हैं। ये सभी क्षेत्र परिभाषा और सीमा चाहते थे ताकि वे अपनी आपूर्ति श्रृंखला का प्रबंधन कर सकें।’ इस्पात मंत्रालय ने हालिया राजपत्र अधिसूचना में भारत में हरित स्टील के तकनीकी मानदंड और उनके विभिन्न रेटिंग के बारे में जानकारी दी।भारत के सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील की कुल खपत वर्ष 2022-23 के 2.5 करोड़ टन से बढ़कर वित्त वर्ष 31 में 6.7-7.3 करोड़ टन होने का अनुमान है।

First Published : December 25, 2024 | 11:05 PM IST