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क्या भारत बना सकता है अपना लुई वुतों? हुब्लॉ CEO ने भारतीय लक्जरी ब्रांड्स की वैश्विक संभावनाओं पर दी अहम राय

स्विस घड़ी ब्रांड हुब्लॉ के CEO जूलियन टॉर्नेयर का कहना है कि भारत में लक्जरी ब्रांड विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए धरोहर को आधुनिकता से जोड़ना होगा

Last Updated- March 01, 2025 | 7:36 AM IST
Julien Tornare

स्विट्जरलैंड के लक्जरी घड़ी ब्रांड हुब्लॉ के मुख्य कार्याधिकारी जूलियन टॉर्नेयर ने शुक्रवार को कहा कि लक्जरी को समय के साथ तालमेल स्थापित करने की जरूरत है, यह विरासत में मिली हो सकती है, लेकिन इसमें नवीनता भी होनी चाहिए। ‘क्या भारत अपना लुई वुतों (एलवीएमएच) बना सकता है’, विषय पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि देश में विश्व प्रसिद्ध ब्रांड बनाने की अपार संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘कोई भारत में खरीदारी करने नहीं आता।’ लोग भारत में यहां की संस्कृति और धरोहर का अनुभव लेने आते हैं। उन्होंने कहा, ‘मजबूत पर्यटन पारिस्थितिकी तंत्र का इस्तेमाल भी भारत के ब्रॉन्डों का अनुभव आगंतुकों को कराने के लिए किया जा सकता है।’

उन्होंने कहा कि अपनी शिल्प कला के लिए पहचान बना चुकीं स्विस घड़ियों की तरह भारत में भी शिल्प कला की समृद्ध परंपरा है, चाहे व आभूषण क्षेत्र हो या टेक्सटाइल। उन्होंने कहा, ‘अंतर इस शिल्पकारी और धरोहर को लक्जरी उत्पादों में बदलने में है, जिससे दुनिया परिचित है।’

उन्होंने हुब्लॉ का उदाहरण दिया, जो महज 45 साल की है, फिर भी जानी पहचानी है। टॉर्नेयर ने कहा कि स्विस घड़ी उद्योग को बहुत रूढ़िवादी माना जाता है तथा यह अतीत पर बहुत अधिक निर्भर है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर आप दशकों पुरानी तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं, ब्रांड को युवा पीढ़ी से संवाद करना होगा और ऐसा करने में नवीनता और रचनात्मकता दिखानी होगी।’

हुब्लॉ की स्थापना 1980 में हुई और यह अप्रैल 2008 में वैश्विक लक्जरी दिग्गज एलवीएमएच का हिस्सा बनी। ब्रांड ने 2019 में भारत में प्रवेश किया, मुंबई में अपना पहला बुटीक खोला और अब दूसरा बुटीक बेंगलुरु में स्थापित किया है।

टॉर्नेयर ने कहा, ‘हुब्लॉ को अक्सर घड़ी उद्योग का खतरनाक बच्चा कहा जाता है। हम नई सीमाएं गढ़ते रहते हैं, जो हमारे प्रतिस्पर्धी लाभ के लिए महत्त्वपूर्ण है।’ उन्होंने यह भी कहा कि आप जो हैं,उसका आपको लाभ उठाना होगा, लेकिन समकालीन भी बने रहना होगा।

वैश्विक पहचान वाले खुद के भारतीय लक्जरी ब्रांड बनाने के बारे में टॉर्नेयर ने कहा कि ब्रांड के लिए न सिर्फ अपनी धरोहर और कहानी के बारे में बताने की जरूरत है, बल्कि यह भी दिखाना होगा कि यह ग्राहकों के साथ विकसित होगा और युवा बना रहेगा। सफल ब्रांड के लिए प्रामाणिकता जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘जब लोग महंगे जूते के बारे में सोचते हैं तो वे इटली को याद करते हैं। फैशन के लिए फ्रांस या इटली है। लक्जरी घड़ियों के लिए स्विट्जरलैंड का नाम आता है। विरासत का बड़ा फायदा होता है। इससे विश्वसनीयता बनती है और इच्छा जगती है, लेकिन आपको समय के साथ चलना होगा।’भारत के लक्जरी बाजार के बारे में बात करते हुए पहली बार भारत के दौरे पर आए टॉर्नेयर ने कहा कि यह ब्रांड के लिए महत्त्वपूर्ण बाजार है।

टॉर्नेयर ने कहा, ‘भारत में कदम रखने वाले हम पहले स्विस ब्रांड हैं। संभवतः 20 साल पहले भारत में लक्जरी ब्रॉन्डों के लिए उचित वातावरण नहीं था, लेकिन चीजें तेजी से बदल रही हैं। तमाम शॉपिंग मॉल बन रहे हैं, जो यहां लक्जरी ब्रॉन्डों का वातावरण बना रहे हैं। लेकिन बाजार में पहले आने से ब्रांड को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलता है।’

उन्होंने कहा, ‘लक्जरी शॉपिंग की जगहें अभी विकसित हो रही हैं। देश में लक्जरी शॉपिंग की व्यापक क्षमता है, जो भारतीय ब्रॉन्डों के लिए अपनी विशेषज्ञता और शिल्प को प्रदर्शित करने का एक माध्यम होगा।’ टॉर्नेयर ने कहा कि प्रवासी भारतीय यहां के ब्रॉन्डों को वैश्विक रूप से बढ़ा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय पहले की तुलना में बहुत ज्यादा यात्रा कर रहे हैं और पूरी दुनिया में भारतत के लोग हैं। यह जरूरी है कि वे भारत में बने लक्जरी ब्रॉन्डों के बारे में बात करें और विदेश में लोगों को इसके बारे में जानने में मदद करें। दक्षिण कोरिया का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में उसने बेहतर काम किया है और कोरियन टीवी शो से लेकर के-पॉप उस देश के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं। भारत में लक्जरी सामान पर ज्यादा कर के बारे में टॉर्नेयर ने कहा कि यह समस्या है, जिससे उन्हें चीन में भी निपटना पड़ा था।

उन्होंने कहा, ‘बहरहाल मैं दीर्घावधि के हिसाब से भारत में ब्रांड बनाने जा रहे हैं और भारत में आने वाले वर्षों में निवेश जारी रखेंगे। हमारे लिए यह सबसे अधिक क्षमता वाले बाजारों में से एक है।’

First Published - March 1, 2025 | 7:36 AM IST

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