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BS CEO Poll: प्रधानमंत्री मोदी की नई सरकार में स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे पर बढ़ेगा खर्च

अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी चिंता के बारे में पूछे जाने पर उद्योग जगत के दिग्गजों ने अ​धिक राजकोषीय घाटा, बेरोजगारी और मांग आदि की ओर इशारा किया।

Last Updated- June 06, 2024 | 11:19 PM IST
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित होने वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की नई सरकार का जोर स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे पर रहने के आसार हैं। भारतीय उद्योग जगत के नेताओं का मानना है कि नई सरकार बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देगी और इस मद में खर्च बढ़ाएगी। देश के 15 प्रमुख मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) के एक सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ है।

सीईओ इस बात पर एकमत दिखे कि नई सरकार की कार्यसूची में रोजगार सृजन और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उपाय सबसे ऊपर रहेंगे। हाल ही में संपन्न आम चुनाव के दौरान महंगाई और बेरोजगारी ही मतदाताओं की मुख्य शिकायतें थीं।

एक सीईओ ने नाम जाहिर न की शर्त पर कहा, ‘मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति और भारतीय रिजर्व बैंक (बाहरी माहौल पर नजर रखने) के संयुक्त प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति का रुख सही दिख रहा है। अगर इसमें बदलाव नहीं किया गया तो मुद्रास्फीति नीति निर्माताओं के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं बननी चाहिए।’

एक अन्य सीईओ ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘नई गठबंधन सरकार में भारत के सुधार एजेंडे में रोजगार सृजन और बाजार सुधार के कारकों को प्राथमिकता दी जा सकती है।

इस बदलाव की जड़ें बेरोजगारी को दूर करने, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और निवेश आकर्षित करने में निहित हो सकती हैं। इन सुधारों पर जोर दिए जाने से देश में आर्थिक एवं सामाजिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।’

सर्वेक्षण में शामिल करीब 60 फीसदी प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि होगी क्योंकि सरकार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (पीएलआई) सहित विनिर्माण को बढ़ावा देने वाले उपायों को जारी रखेगी। करीब एक तिहाई सीईओ ने कहा कि निजी पूंजीगत व्यय में कमी दिख सकती है।

जेके पेपर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और जेके ऑर्गनाइजेशन के निदेशक हर्षपति सिंघानिया ने कहा, ‘वृद्धि पर गुणात्मक प्रभाव डालने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आईटी जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए, जितना भौतिक बुनियादी ढांचे पर।’

उन्होंने कहा, ‘नीतिगत सुधारों और नियमों एवं विनियमों को आसान बनाते हुए कृषि विकास को बढ़ावा देना और वै​श्विक स्तर पर भारतीय कारोबारियों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बेहतर करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।’

सर्वेक्षण में शामिल 53 फीसदी से अधिक सीईओ ने उम्मीद जताई कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करेगा। अ​धिकतर प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि बीएसई सेंसेक्स वित्त वर्ष के अंत तक 85,000 अंक को पार कर जाएगा। सेंसेक्स में इस सप्ताह की शुरुआत में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया था। सेंसेक्स आज 692 अंक चढ़कर 75,075 पर बंद हुआ।

अधिकतर सीईओ (53.3 फीसदी) ने कहा कि साल अंत तक रुपये के मजबूत होने की उम्मीद नहीं है। सीईओ ने कहा कि बुनियादी ढांचे में निवेश के अलावा सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

नाम न बताने की शर्त पर एक सीईओ ने कहा, ‘भारत को कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में आगे ले जाने के लिए सभी क्षेत्रों में नियमों को आसान बनाने की पहल जारी रहनी चाहिए।’ जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें नई गठबंधन सरकार के तहत सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की उम्मीद है, तो उानकी राय अलग-अलग दिखी।

अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी चिंता के बारे में पूछे जाने पर उद्योग जगत के दिग्गजों ने अ​धिक राजकोषीय घाटा, बेरोजगारी और मांग आदि की ओर इशारा किया। एक प्रौद्योगिकी कंपनी के सीईओ ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में मेरी सबसे बड़ी चिंता राजकोषीय घाटा है।

First Published - June 6, 2024 | 10:56 PM IST

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