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9 फीसदी की दर से बढ़ेगा एग्रोकेमिकल, FY28 में 14.5 अरब डॉलर पहुंच सकता है कृषि उद्योग का आकार

इसी समय सीमा के दौरान कुल कृषि रसायन निर्यात में जड़ी-बूटियों की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत से बढ़कर 41 प्रतिशत हो गई।

Last Updated- May 23, 2024 | 12:01 AM IST
Agro chemical exporters expect better growth than domestic companies

वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2028 के दौरान भारत के कृ​षि रसायन उद्योग में 9 फीसदी की चक्रवृद्धि सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) हासिल करने की संभावना है। जोखिम प्रबंधन और निगरानी की प्रमुख कंपनी रुबिक्स डेटा साइंसेज के मुताबिक इसे सरकार के समर्थन, उत्पादन क्षमता के विस्तार, घरेलू व निर्यात बाजार में सुधार नवोन्मेषी उत्पादों की सतत आवक से बल मिलेगा।

इस स्थिर तेज वृद्धि दर से कृ​षि रसायन उद्योग का आकार वित्त वर्ष 2028 तक 14.5 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जो अभी करीब 10.3 अरब डॉलर है। आज जारी इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का कृ​षि रसायन निर्यात वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2023 के बीच 14 फीसदी बढ़ा है और इसकी वजह से वित्त वर्ष 2023 में यह 5.4 अरब डॉलर पर पहुंचा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह प्रभावशाली निर्यात वृद्धि आयात के बिल्कुल विपरीत है, जिसने इसी अवधि के दौरान 6 प्रतिशत से अधिक सीएजीआर दर्ज किया, जिससे शुद्ध निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति मजबूत हुई।’

इसमें कहा गया है कि कृषि रसायन क्षेत्र में, शाकनाशी (herbicides) अग्रणी निर्यात खंड के रूप में उभरे हैं, जिसमें वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2023 तक 23 प्रतिशत सीएजीआर की सबसे तेज वृद्धि देखी गई है।

इसी समय सीमा के दौरान कुल कृषि रसायन निर्यात में जड़ी-बूटियों की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत से बढ़कर 41 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कृषि रसायन निर्यात परिदृश्य से प्रमुख बाजारों में बढ़ते कंसंट्रेशन का पता चलता है।

शीर्ष 5 देशों (ब्राजील, अमेरिका, वियतनाम, चीन और जापान) का अब भारत के कृषि रसायन निर्यात में लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा है, जो वित्त वर्ष 2019 में 48 प्रतिशत से अधिक है।

भारत का घरेलू कृषि-रसायनों का उपयोग वर्तमान में मात्र 0.6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जो एशियाई औसत (3.6 किलोग्राम/हेक्टेयर) की तुलना में एक अंश और वैश्विक औसत (2.4 किलोग्राम/हेक्टेयर) का मात्र एक चौथाई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह कम उपयोग आने वाले वर्षों में बाजार के विस्तार की अपार संभावनाओं को दर्शाता है, जो उद्योग के विकास के लिए उपजाऊ जमीन पेश करता है।’

हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र के लिए आगे की राह चुनौतियों से रहित नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं जोखिम पैदा करती हैं, साथ ही चीन जैसे स्थापित कंपनियों से प्रतिस्पर्धी दबाव भी बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन ने समीकरण को और जटिल बना दिया है, अप्रत्याशित मानसून कृषि पैटर्न और फसल की पैदावार को प्रभावित कर रहा है।

First Published - May 22, 2024 | 10:49 PM IST

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