उद्योग

ACC PLI आवेदकों को मिल सकता है दो हफ्ते का मौका, जमा करने होंगे जरूरी डॉक्यूमेंट

ACC PLI योजना महत्त्वपूर्ण पहल है। इसका लक्ष्य घरेलू विनिर्माताओं की क्षमता को बढ़ाना और एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल के आयात पर निर्भरता कम करना है।

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नितिन कुमार   
Last Updated- June 06, 2024 | 10:14 PM IST

केंद्र सरकार 10 गीगावॉट ऑवर्स (जीडब्लूएच) के एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) के उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) के लिए नए सिरे से दो सप्ताह का मौका देने की योजना बना रही है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के अनुसार आवेदकों को इस दौरान सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे।

दरअसल, भारी उद्योग मंत्रालय को कई आवेदकों की तकनीकी निविदाओं में खामियां मिली थीं और इसके बाद सरकार ने जरूरी दस्तावेज जमा करने के लिए दो सप्ताह का समय मुहैया कराने का फैसला किया है। कुछ तकनीकी निविदाओं में तो इन आवेदकों ने अपने मूल्यांकन का ब्योरा ही नहीं दिया और परियोजना संबंधित कई अन्य जानकारियां भी नहीं दी गईं। इस मामले के एक जानकार अधिकारी ने बताया, ‘हम सभी आवेदकों को दो सप्ताह का समय देने की योजना बना रहे हैं।’

उन्होंने बताया कि यदि आवेदक इस दौरान आवश्यक दस्तावेज मुहैया कराने में विफल होता है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। निविदाओं में इन खामियों के कारण सरकार एक महीने में तकनीकी निविदा आवंटन के विजेता की घोषणा करने के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है। भारी उद्योग मंत्रालय ने 23 अप्रैल को तकनीकी निविदाएं जारी की थी।

मंत्रालय ने सात आवेदकों- एसीएमई क्लीनटेक सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, अमारा राजा एडवांस सेल टेक्नॉलजी प्राइवेट लिमिटेड, अन्वी पावर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, लुकास टीवीएस लिमिटेड और वारी एनर्जीज लिमिटेड का आवेदन मंजूर होने की घोषणा की थी। ये कंपनियां 70 गीगावॉट घंटे की कुल क्षमता के लिए दौड़ में हैं।

एसीसी पीएलआई योजना महत्त्वपूर्ण पहल है। इसका लक्ष्य घरेलू विनिर्माताओं की क्षमता को बढ़ाना और एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल के आयात पर निर्भरता कम करना है। सरकार ने दस्तावेजीकरण को कठोर किया है और यह पारदर्शी व निष्पक्ष चयन प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

यह निविदा ‘एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) के राष्ट्रीय कार्यक्रम’ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उद्देश्य एसीसी की 50 गीगावॉट घंटे की विनिर्माण क्षमता को हासिल करना है। मंत्रिमंडल ने मई 2021 में इस रणनीति कार्यक्रम के लिए 18,100 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मुहैया करवाई थी। यह आयातित बैटरी तकनीकों पर निर्भरता कम करने और स्थानीय नवोन्मेष को बढ़ाने पर केंद्रित है।

First Published : June 6, 2024 | 10:14 PM IST