छत्तीसगढ़ और असम वर्ष 2030 तक तिपहिया वाहनों की श्रेणी में 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक पैठ के नीति आयोग के लक्ष्य को पहले ही पार कर चुके हैं और चार अन्य राज्य – उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार तथा उत्तराखंड इस सीमा के पास हैं। इस कैलेंडर वर्ष में 20 जून तक के ‘वाहन डैशबोर्ड’ के आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है।
इस साल अब तक कुल 2,27,453 इलेक्ट्रिक तिपहिया बेचे गए हैं, जो पिछले साल की समान अवधि में बेचे गए 1,28,094 इलेक्ट्रिक तिपहिया से 77 प्रतिशत अधिक है।
डीजल तिपहिया वाहनों की बिक्री में 85 प्रतिशत तक की गिरावट आई है और दोहरे इंजन (एक सीएनजी से चलने वाला और दूसरा पेट्रोल से चलने वाला इंजन) वाले वाहनों की बिक्री में 96 प्रतिशत की गिरावट आई है। दूसरी ओर अकेले सीएनजी पर चलने वाले तिपहिया वाहनों की बिक्री में 5,462 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
इस साल बेचे गए 4,35,654 तिपहिया वाहनों में से 2,27,453 ई-रिक्शा तथा ई-ऑटो थे, यानी वर्ष 2022 में इन इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ 51.88 प्रतिशत से बढ़कर 52.21 प्रतिशत हो गई। नौ राज्य – छत्तीसगढ़ (88.25 प्रतिशत), असम (82.48 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (79.50 प्रतिशत), पंजाब (74.53 प्रतिशत), बिहार (70.27 प्रतिशत), उत्तराखंड (69.95 प्रतिशत), राजस्थान (58.48 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (55.16) प्रतिशत) और झारखंड (52.61 प्रतिशत) राष्ट्रीय औसत से ऊपर हैं।
तिपहिया वाहनों में सर्वाधिक इलेक्ट्रिक पैठ वाले पांच राज्यों में से तीन कुल तिपहिया वाहनों की बिक्री के मामले में भी शीर्ष पांच में शुमार हैं। उत्तर प्रदेश 1,16,357 वाहनों की बिक्री के साथ देश में बेचे जाने वाले सभी तिपहिया वाहनों में 26 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा बाजार है। यह कुल ई-तिपहिया बिक्री में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सर्वाधिक इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों की बिक्री वाला राज्य भी है।
बिहार 37,773 ई-तिपहिया बिक्री के साथ दूसरा सबसे बड़ा राजय है। इसके बाद महाराष्ट्र (32,625), गुजरात (31,738) और असम (29,993) का स्थान है। देश की ई-तिपहिया बिक्री में इन शीर्ष पांच राज्यों की हिस्सेदारी 57 प्रतिशत है। महाराष्ट्र और गुजरात शीर्ष पांच तिपहिया वाले बाजारों में तो शामिल हैं, लेकिन उनकी इलेक्ट्रिक पैठ क्रमशः 15.48 प्रतिशत और 4.07 प्रतिशत के साथ तुलनात्मक रूप से कम है।
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि ई-तिपहिया वाहनों की बिक्री में यह इजाफा सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर जोर देने तथा डीजल और पेट्रोल की बढ़ती लागत के कारण हुई है। हालांकि ई-तिपहिया वाहनों में इस इजाफे का दूसरा पक्ष भी है। उद्योग के अनुमान के अनुसार उनमें से अधिकांश लगभग 70 प्रतिशत वाहन लीथियम-आयन नहीं, बल्कि लेड-एसिड बैटरी पर चलते हैं।
ई-तिपहिया की विनिर्माता साएरा इलेक्ट्रिक ऑटो के प्रबंध निदेशक नितिन कपूर ने कहा कि फिलहाल लेड बैटरी चालित ई-तिपहिया का बाजार में दबदबा है क्योंकि ऐसी बैटरियों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र देश में पूरी तरह से विकसित है। जब तक लीथियम बैटरी के लिए भी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित नहीं हो जाता, तब तक यह बदलाव मुश्किल है।