अमेरिका में इस समय दवा की ऐसी किल्लत है जो पहले कभी नहीं देखी गई। इस वजह से दवाइयों की कीमतों में गिरावट स्थिर हो गई है। विश्लेषकों के अनुसार इससे भारतीय दवा कंपनियों को फायदा हो सकता है।
नुवामा रिसर्च के विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी कीमतों में गिरावट अपने पुराने स्तर 6 से 8 फीसदी पर पहुंच गई है और स्टॉक कम होकर मात्रा बढ़ रही है।
इसी तरह आईसीआईसीआई डायरेक्ट विश्लेषक ने कहा, ‘कीमतों में गिरावट अब एक अंक तक रह गई है और आशंका है कि इसमें कुछ हद तक और कमी आएगी क्योंकि भारतीय कंपनियों को अमेरिका की कुछ दिवालिया हो चुकीं जेनरिक कंपनियों के मैदान से बाहर निकलने का भी फायदा मिलेगा और उनके कुछ विशेष उत्पादों की रफ्तार भी बढ़ेगी।’
अरविंदो फार्मा के मुख्य कार्याधिकारी (उत्तरी अमेरिका) स्वामी अय्यर ने वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही की अर्निंग कॉल में कहा कि वित्त वर्ष 2023 की पहली तीन तिमाहियों में कीमतों में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘चौथी तिमाही कहीं न कहीं स्थिर है और हम निरंतरता देख रहे हैं।’ कंपनियों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024 में एक अंक में कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी।
जायडस लाइफसाइंसेज को मोरैया संयंत्र के लिए मंजूरी मिल गई है और अब कंपनी अमेरिका को आपूर्ति बढ़ा सकती है। कंपनी के प्रबंध निदेशक शर्विल पटेल ने चौथी तिमाही की अर्निंग कॉल के दौरान कहा कि कंपनी एक अंक में कीमतों में गिरावट के लिए तैयार थी।
पटेल ने कहा, ‘हम एक अंक में कीमतों में गिरावट देख रहे हैं क्योंकि वित्त वर्ष 2024 में हमें ऐसा होने की उम्मीद हैं। स्पष्ट है कि पिछली तिमाही में हमें कोई ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन, पोर्टफोलियो और प्रतिस्पर्धा को जानते हुए हम सतर्क हैं। हमें लगता है कि एक से डेढ़ अंकों में कीमतें गिरेंगी।’ इसके अलावा अमेरिका में दवाइयों की किल्लत भारत में दवा बनाने वालों के लिए एक अच्छा अवसर है।
अरबिंदो की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी यूगिया फार्मा के मुख्य कार्याधिकारी युगंधर पुवाला ने कहा कि यह अच्छे स्तर पर था क्योंकि पिछली दो तिमाहियों में कीमतों में गिरावट लगभग नगण्य रही।
पुवाला ने अर्निंग कॉल के दौरान कहा, ‘दुर्भाग्य से अमेरिका में दवाइयों की किल्लत सर्वकालिक उच्च स्तर पर है और नए उत्पादों को लॉन्च करने से हमें व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
हाल के वर्षों में अमेरिका दवा की सबसे भीषण किल्लत का सामना कर रहा है। यह इतना गंभीर है कि इसने व्हाइट हाउस और कांग्रेस का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। कैंसर की दवाइयों में भीषण किल्लत देखी जा रही है। स्तन कैंसर, ब्लैडर और ओवरी कैंसर के कीमोथेरेपी में उपयोग होने वाली दवाइयों की कमी देखी जा रही है।
अमेरिका अपनी अधिकांश दवाइयां भारत और चीन से आयात करता है। खबरों के मुताबिक अमेरिका अपनी आपूर्ति श्रृंखला की भी जांच कर रहा है क्योंकि दवाइयों किल्लत राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है।