रिटेल कंपनी वॉलमार्ट अमेरिकी दवा बाजार में तहलका मचा रही है। कंपनी की ओर से लगभग सभी बीमारियों की दवाओं पर भारी छूट दी जा रही है।
इसमें वॉलमार्ट का सहयोग कर रही हैं, भारतीय दवा निर्माता कंपनियां, जो दवाइयों की आपूर्ति कर रही हैं। भारतीय कंपनियों का कहना है कि लो-कॉस्ट दवाइयां वॉलमार्ट की ओर से उपलब्ध कराई जा रही है, जिनमें कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग के साथ-साथ मधुमेह, एंटीबायोटिक्स और फंगल इन्फेक्शन आदि से संबंधित हैं।
4 डॉलर प्रिस्क्रिप्शन प्रोग्राम (172 रुपये में) के तहत वॉलमार्ट मरीजों को एक महीने की दवाइयां उपलब्ध करा रही है। इसकी सफलता से उत्साहित कंपनी ने पिछले माह इस योजना की अवधि को 30 दिन से बढ़ा कर 90 दिन कर दिया है। वॉलमार्ट की इस योजना से अमेरिकी उपभोक्ताओं ने करीब 40 अरब रुपये की बचत की है। इस बीच भारतीय कंपनियां अमेरिकी दवा बाजार में प्राइस वार में लगी हुई हैं, जिसका फायदा उपभोक्ताओं को मिल रहा है।
उधर, वॉलमार्ट एचआईवीएड्स की दवाइयां अफ्रीकी और लैटिन अमेरिका जैसे विकासशील देशों में करने की योजना बना रही है। वॉलमार्ट को दवाइयों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों में रैनबैक्सी, डॉ. रेड्डीज, सन फार्मा और ग्लैनमार्क प्रमुख हैं।
फर्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल (फर्मेक्सिल) के मुताबिक, अमेरिका में दवाइयों के आयात का वॉल्यूम बढ़ रहा है। फर्मेक्सिल के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर पी. वी. अप्पाजी ने बताया कि प्रमुख रिटेल कंपनी की ओर से मधुमेह और एंटीबायोटिक्स दवाइयों की महीने भर की डोज मात्र 172 रुपये में उपलब्ध करा रही हैं, जो उपभोक्ताओं के हित में है।