मुनाफा कमाने के लिए संभावनाओं से भरपूर बाजार की तलाश में ऑटो पुर्जे और टायर बनाने वाली भारतीय ऑटो कंपनियां अब यूरोप का रुख कर रही है।
यूरोप में भी पूर्वी हिस्से पर भारतीय कंपनियां नजर गड़ाए हुए हैं।
तैयारियां शुरू
इसके लिए कंपनियों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। पिछले महीने ही अपोलो टायर्स ने हंगरी में 1,260 करोड़ रुपये निवेश कर संयंत्र लगाने की घोषणा की थी। दिल्ली की कंपनी एमटेक ऑटो भी रोमानिया में निर्माण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। कंपनी का यह संयंत्र साल 2009 तक कार्य करना शुरू कर देगा।
पश्चिम यूरोप भी
कंपनियों की नए बाजार की तलाश पूर्वी यूरोप तक ही नहीं थमती। सोना कोयो स्टीयरिंग सिस्टम्स, भारती फोर्ज और सुंदरम फास्टनर्स जैसी कंपनियों ने पश्चिमी यूरोप में भी अधिग्रहण की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं।
यूरोप का बाजार सालाना 1.3 करोड़ यात्री कार और 30 लाख ट्रकों का बाजार है। अपोलो टायर्स के मुख्य विपणन और बिक्री अधिकारी सुनाम सरकार ने कहा कि ‘यूरोप में टायरों का बाजार सालाना 30 करोड़ टायरों का है।
भारत फोर्ज के मुख्य कार्यकारी निदेशक अमित कल्याणी ने कहा कि ‘यूरोपीय बाजार दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बनने की राह पर है। यूरोपीय ग्राहक तकनीक पर ज्यादा ध्यान देते हैं।’ भारत फोर्ज यूरोपीय बाजार से कुल आय का 42 फीसदी राजस्व प्राप्त होता है।
कम लागत का लोभ
कंपनियों के इस तरफ आकर्षित होने की वजह पूर्वी यूरोप में सस्ता श्रम भी है। इन देशों की इंजीनियरिंग तकनीक भी अच्छी होती है और इसका फायदा कंपनियों को मिलेगा।सोना कोयो ने हाल ही में फ्रांस की कंपनी फ्यूजी ऑटोटेक में 21 फीसदी हिस्सेदारी और जर्मन कंपनी थाईसेन क्रुप की फोर्जिंग इकाई बीएलडब्ल्यू का भी अधिग्रहण किया है।