देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी निवेशकों के लिए तैयार प्रस्तुतिकरण (इन्वेस्टर प्रजेंटेशन) के पहले पृष्ठ पर वर्षों से बड़े तापीय विद्युत संयंत्रों की तस्वीरों के जरिये अपनी उपलब्धियों का बखान करती थी। लेकिन अगस्त में कंपनी के इस दस्तावेज का चोला बदल गया। अगस्त 2020 में निवेशकों के लिए तैयार प्रस्तुतिकरण में बिजली संयंत्रों की जगह एक नन्हे पौधे की तस्वीर छपी थी। इसके नीचे ‘जेनरेटिंग ग्रोथ फॉर जेनरेशन’ लिखा हुआ था, जो वास्तव में एनटीपीसी की कारोबारी योजनाओं में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहा था। यह इस बात की ओर भी इशारा करता है कि ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियां क्षमता विस्तार के बजाय अब टिकाऊ विकास पर ध्यान अधिक केंद्रित कर रही हैं।
इस बदलाव की एक और वजह है। दरअसल वैश्विक स्तर पर बिजली परियोजनाओं के लिए धन मुहैया कराने वाली इकाइयों और कर्जदाताओं ने जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं से धीरे-धीरे नाता तोडऩे का मन बना लिया है। इसके मद्देनजर हालात भांपते हुए ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियां भी अब अक्षय ऊर्जा पर जोर दे रही हैं और ताप ऊर्जा से स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की तरफ बढ़ रही हैं। एनटीपीसी सबसे पहले 2012 में अक्षय ऊर्जा कारोबार मेंं उतरी थी। कंपनी ने इस महीने के शुरू में निवेशकों को बताया कि वह 2032 तक कुल बिजली उत्पादन में 30 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोतों का चाहती हैं।
कंपनी इस अवधि तक मौजूदा 62 गीगावॉट से 130 गीगावॉट क्षमता वाली कंपनी बनने की योजना तैयार की है। अप्रैल में निवेशकों के साथ संवाद में एनटीपीसी के प्रबंधन ने कहा,’हम कोयला आधारित संयंत्र की संख्या में इजाफा करना बंद नहीं करेंगे, लेकिन अंतत: हमें अक्षय ऊर्जा की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाना ही होगा।’
निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों ने भी कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता कम करने का मन बना लिया है। मिसाल के तौर पर जेएसडब्ल्यू एनर्जी और टाटा पावर ने अब ताप विद्युत क्षमता में और इजाफा नहीं करने का निर्णय लिया है। पिछले महीने सज्जन जिंदल प्रवर्तित जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने कहा था कि इसने शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है, जिसे वह 2050 तक पूरा करना चाहेगी। कंपनी तब तक कोयला आधारित अपने सभी संयंत्र बंद करना चाहती है।
वैश्विक फंड मैनेजर ब्लैकरॉक ने इस वर्ष जनवरी में कहा था कि कार्बन उत्सर्जन की अधिकता, नियामकीय स्तर पर जोखिम और आर्थिक नुकसान के खतरे को देखते हुए यह कोयला आधारित सभी ताप बिजली परियोजनाओं को मुहैया कराई पूंजी निकाल लेगी। ब्लैकरॉक ने कोल इंडिया, एनटीपीसी और अदाणी एंटरप्राइजेज में बड़े पैमाने पर निवेश किए हैं। अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी, इकोनॉमिक्स ऐंड फाइनैंशियल एनालिसिस (आईईईएफए)द्वारा जुटाए आंकड़ों के अनुसार लगभग 20 सॉवरिन फंड, परिसंपत्ति प्रबंधकों और पेशन फंडों ने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को रकम देने से दूरी बनाने की घोषणा की है।
इस नए बदलाव पर टाटा पावर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी प्रवीर सिन्हा ने कहा, ‘विदेशी बैंक कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं के लिए रकम देने से मना कर रहे हैं। इससे अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए मोटी रकम आसानी से उपलब्ध हो रही है।’
अंदाणी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन गौतम अदाणी ने जनवरी में लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा था कि उनका समूह ऊर्जा क्षेत्र के लिए रखी गई रकम में 70 प्रतिशत से अधिक स्वच्छ ऊर्जा एवं ऊर्जा क्षमता के विकास पर खर्च करेगी। अदाणी समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने 2025 तक 25 गीगावॉट क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
प्रवक्ता ने कहा कि इससे भारत को निर्धारित समय सीमा से बहुत पहले ही सीओपी 21 लक्ष्य पूरे करने में मदद मिलेगी।
इसी तरह, जेएसडब्ल्यू एनर्जी के मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत जैन ने कहा, ‘अगले तीन से पांच वर्षों के दौरान जेएसडब्ल्यू 10 गीगावॉट क्षमता वाली कंपनी बन जाएगी। पहले हम ताप एवं अक्षय ऊर्जा दोनों की मदद से यह लक्ष्य हासिल करना चाहे थे, लेकिन अब हम अकेले अक्षय ऊर्जा खंड में यह क्षमता हासिल कर लेंगे।’ टाटा पावर भी अपने बिजली कारोबार में 2025 तक 60 प्रतिशत हिस्सा अक्षय ऊर्जा का हासिल करना चाहती है। कंपनी यह आंकड़ा 2030 तक बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर देगी और 2050 तक पूरी तरह अक्षय ऊर्जा आधारित कंपनी बन जाएगी। इलारा कैपिटल के उपाध्यक्ष रूपेश सांखे ने अक्षय ऊर्जा पर बढ़ते जोर पर कहा,’हमें ताप विद्युत खंड में निजी क्षेत्र अपनी क्षमता बढ़ाएगा। एनटीपीसी भी ताप बिजली उत्पादन में पूंजीगत व्यय कम कर रही है। हालांकि अक्षय ऊर्जा खंड में प्रति मेगावॉट पूंजीगत व्यय 4 करोड़ रुपये है, जबकि ताप बिजली के मामले मेंं यह 5.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट है।’
सेंबकॉर्प एनर्जी इंडिरूा लिमिटेड (एसईआईएल) जैसी विदेशी कंपनी वैश्विक कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य से चिपके रहना चाहती है। एसईआईएल के प्रबंध निदेशक विपुल तुली ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हाल में ही हमने 800 मेगावॉट उत्पादन क्षमता की सफलतापूर्वक शुरुआत की है, जो अक्षय ऊर्जा खंड में हमारे विशेष जोर की एक मिसाल है। इसके साथ ही भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) की पवन ऊर्जा परियोजनाओं में सेंबकॉर्प की सर्वाधिक परिचालन वाली कंपनी बन गई है।’ हालांकि तुली ने कहा कि भारत अगले चरण में अक्षय ऊर्जा के विकास के लिए नए सुधारों की जरूरत है।