राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (NCLAT) ने आज कहा है कि व्हाट्सऐप उपयोगकर्ताओं के पास साल 2021 में बनी डेटा शेयरिंग नीति से बाहर निकलने का विकल्प होना चाहिए। इस नीति के तहत मैसेजिंग प्लेटफॉर्म अपनी मूल कंपनी मेटा अथवा अन्य उत्पादों के साथ डेटा साझा की अनुमति थी।
अधिकरण मेटा प्लेटफॉर्म (पहले फेसबुक) और व्हाट्सऐप की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा व्हॉट्सऐप गोपनीयता नीति ‘अपडेट’ के संबंध में अनुचित व्यावसायिक गतिविधियों के लिए सोशल मीडिया प्रमुख मेटा पर 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
मगर अपील अधिकरण ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के उस आदेश पर भी रोक लगा दी न्यायमूर्ति देश में कंपनी की डेटा शेयरिंग प्रथाओं पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया था। चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और तकनीकी सदस्य अरुण बरोका के पीठ ने कहा कि पांच साल के प्रतिबंध से व्हाट्सऐप का कारोबार मॉडल प्रभावित हो सकता है क्योंकि यह एक निःशुल्क प्लेटफॉर्म है।
आदेश में कहा गया है, ‘सीसीआई के आदेश 247.1 में लगा गए पांच साल के प्रतिबंध से व्हाट्सऐप एलएलसी का कारोबारी मॉडल प्रभावित हो सकता है। यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि व्हाट्सऐप अपने उपयोगकर्ताओं को निःशुल्क सेवाएं प्रदान करता है।’
एनसीएलएटी ने सीसीआई द्वारा लगाए गए 213.14 करोड़ रुपये के जुर्माने पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है और मेटा को रोक प्रभावी होने के लिए 50 फीसदी रकम जमा करने का आदेश दिया है। 25 फीसदी रकम का भुगतान करने वाली मेटा अगर मुकदमा जीत जाती है तो उसे भुगतान की गई राशि वापस मिल जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च को की जाएगी।
एनसीएलएटी ने सीसीआई के उस आदेश (247.2 और 247.3) को बरकरार रखा है, जिसमें कहा गया था कि व्हाट्सऐप को यह स्पष्ट करना होगा कि उपयोगकर्ताओं ने मेटा के साथ क्या साझा किया है और व्हाट्सऐप की सेवाओं के इतर डेटा साझा करना भारत में व्हाट्सऐप के लिए कोई शर्त नहीं हो सकती है।